हरिद्वार. हर साल मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में गणेश भगवान की पूजा करने के बाद ही अन्य पूजा करने पर संपूर्ण फल प्राप्त होता है. विनायक चतुर्थी का व्रत करने से जहां जीवन में आई सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं वहीं हर क्षेत्र में सफलता भी मिलेगी. विनायक चतुर्थी पर गणेश भगवान के 12 नामों का जाप, भगवान गणेश के मंत्र, स्तोत्र आदि का पाठ करना विशेष फलदायक होता हैं.
हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 दिसंबर को दोपहर 01. 10 मिनट पर शुरू होगी. जबकि इसका समापन 05 दिसंबर को दोपहर 12. 49 बजे होगा. उदया तिथि के अनुसार 05 दिसंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत होगा.
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत विधि विधान से करने पर भगवान गणेश, रिद्धि-सिद्धि और विद्या का वरदान देते हैं. विनायक चतुर्थी का व्रत 5 दिसंबर को किया जाएगा. इस दिन भगवान गणेश के 12 नामों का जाप करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी का व्रत बेहद ही खास और महत्वपूर्ण होता है इस दिन गणेश भगवान के मंत्र और स्तोत्र का पाठ करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है.
गणेश भगवान के मंत्रो का जाप विनायक चतुर्थी के दिन करने पर सभी प्रकार के विघ्न, बाधाएं खत्म हो जाती हैं और जिस क्षेत्र या कार्य में आप आप असफल हो रहे हैं उसमें आपको सफलता प्राप्त हो जाती है साथ ही हर कार्य सिद्ध हो जाता है.
गणेश भगवान का प्रभावी मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
गणेश भगवान का शक्तिशाली मंत्र
वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नम कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।
गणेश गायत्री मंत्र
एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गणेश भगवान के 12 नाम
सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन
गणेश भगवान के 12 नामों का मंत्र
- ऊँ सुमुखाय नम:
- ऊँ एकदंताय नम:
- ऊँ कपिलाय नम:
- ऊँ गजकर्णाय नम:
- ऊँ लंबोदराय नम:
- ऊँ विकटाय नम:
- ऊँ विघ्ननाशाय नम:
- ऊँ विनायकाय नम:
- ऊँ धूम्रकेतवे नम:
- ऊँ गणाध्यक्षाय नम:
- ऊँ भालचंद्राय नम:
- ऊँ गजाननाय नम:
FIRST PUBLISHED : November 30, 2024, 15:28 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.