उज्जैन. हिन्दू धर्म मे हर तिथि और हर वार का महत्व होता है. सावन मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन जनेऊधारी लोग श्रावणी उपाकर्म करते हैं. वर्ष में बहुत कम मौके होते हैं, जब यह कर्म किया जाता है. यह कार्य कुंभ स्नान के दौरान भी होता है. श्रावणी उपाक्रम, हिमाद्री स्नान, दस विधि स्नान, पित्र को तर्पण देना, जाने अंजाने में वर्ष में किये पापों का ब्राह्मण आचार्य स्वयं पुजन करते हैं. वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत ब्राह्मण का विशेष महत्व है. ब्राह्मण व पंडित के साथ जनेऊ धारियों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. आइए उज्जैन के ज्योतिष अजय व्यास से विस्तार से जानते हैं.
श्रावणी उपाकर्म में होते हैं इतने पक्ष
प्रायश्चित संकल्प, संस्कार व स्वाध्याय श्रावणी उपाकर्म के तीन पक्ष हैं. संकल्प लेकर गाय के दूध, दही, घृत, गोबर, गोमूत्र व पवित्र कुशा से स्नान करने के बाद वर्षभर में जाने-अनजाने में हुए पाप कर्मों के लिए प्रायश्चित किया जाता है. स्नान के बाद ऋषिपूजन, सूर्योपासन व यज्ञोपवीत पूजन करने का विधान है. नवीन यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण करना आत्म संयम का संस्कार होना माना जाता है. उपाकर्म का तीसरा पक्ष स्वाध्याय है.नइसमें ऋगवेद के मंत्रों से आहुति दी जाती है.
मिलती है पापों से मुक्ति
ज्योतिषाचार्य पंडित अजय व्यास ने Bharat.one को बताया कि श्रावणी उपाकर्म के तीन पहलू हैं. प्रायश्चित संकल्प, अनुष्ठान और स्वाध्याय. इनमें प्रायश्चित संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय शामिल हैं. इसमें प्रायश्चित रूप में हेमाद्रि स्नान संकल्प होता है. गुरु के सान्निध्य में ब्रह्मचारी गाय के दूध, दही-घी के साथ ही गोबर व गोमूत्र और पवित्र कुशा से स्नान कर साल भर में जाने-आनजाने हुए पाप कर्मों का प्रायश्चित करता है. जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरता है. स्नान विधान के बाद ऋषि पूजा, सूर्योपस्थान व यज्ञोपवीत पूजन कर उसे धारण किया जाता है. यह आत्म संयम का संस्कार है. इस संस्कार से व्यक्ति का पुनर्जन्म माना जाता है. सावित्री, ब्रह्मा, श्रद्धा, मेधा, प्रज्ञा, सदसस्पति, अनुमति, छंद व ऋषि को घृत से आहुति से स्वाध्याय की शुरुआत होती है. इसके बाद वेद-वेदांग का अध्ययन किया जाता है.
शिप्रा में लगी आस्था की डुबकी
धार्मिक नगरी उज्जैन, जिसे बाबा महाकाल की नगरी भी कहते हैं. यहां मोक्षदायनी मां शिप्रा का वास है. हर 12 वर्ष में यहा कुंभ का मेला भी लगता है. आज सुबह से ही यहां ब्राह्मण व पंडित आस्था कि डुबकी लगाने आ रहे है.
FIRST PUBLISHED : August 19, 2024, 17:24 IST
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