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सांप के काटने से हो गई है मृत्यु? क्यों शव को न तो दफनाते हैं और न ही किया जाता है दाह संस्कार, जानें क्या करते हैं मृतक के शरीर का?


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Snakebite Death As Per Astrology : आज के समय में विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है, लेकिन सांप के काटने से हुई मौत को लेकर लोगों के मन में अब भी पुराने विश्वास हैं. यह परंपरा कुछ खास क्षेत्रों तक ही सीमित रह गई ह…और पढ़ें

सांप के काटने से हो गई है मृत्यु? जानें क्या करते हैं मृतक के शरीर का?

सांप के काटने पर कैसा होता है अंतिम संस्कार?

हाइलाइट्स

  • सांप के काटने से मृत शरीर को जलाया या दफनाया नहीं जाता.
  • मृत शरीर को नदी में बहा दिया जाता है.
  • पानी में विष उतरने की मान्यता है.

Snakebite Death As Per Astrology : हमने अक्सर सुना है कि जब किसी की मौत होती है, तो उसका अंतिम संस्कार या तो जलाकर किया जाता है या फिर दफनाकर. हिंदू समाज में यह एक परंपरा रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर किसी की मौत सांप के काटने से हो जाए, तो उसके साथ यह परंपरा नहीं निभाई जाती? इस तरह की मौत को लेकर लोगों की सोच और तरीके दोनों थोड़े अलग होते हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

सांप की पूजा
सांप का नाम सुनते ही डर लगना आम बात है. यह डर सिर्फ उसके काटने से नहीं बल्कि उससे जुड़ी रहस्यमयी बातों की वजह से भी होता है. भारत जैसे देश में सांप को पूजा भी जाता है और उससे जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं भी हैं. खासकर भगवान शिव की बात करें, तो उनके गले में सर्प लिपटा हुआ दिखाया जाता है. इसलिए सांप से जुड़ी चीजों को आध्यात्म से जोड़कर देखा जाता है.

मृतक को न जलाते हैं न दफनाते हैं
जब कोई व्यक्ति सांप के काटने से मरता है, तो गांवों और कुछ खास क्षेत्रों में यह माना जाता है कि उस व्यक्ति की मौत पूरी तरह से नहीं हुई है. उनका मानना है कि अगर सही समय पर उपाय किया जाए, तो वह व्यक्ति दोबारा जीवित हो सकता है. इस सोच के चलते मृत शरीर को न तो जलाया जाता है और न ही मिट्टी में दफनाया जाता है.

इस तरह की मौत पर शव को नदी में बहा दिया जाता है. इसके पीछे एक वजह यह भी बताई जाती है कि पहले के समय में कुछ लोग होते थे जो विशेष मंत्रों और जड़ी बूटियों के जरिए सांप के जहर का असर खत्म कर देते थे. वे नदी के किनारे रहते थे और ऐसे शवों को देखकर कोशिश करते थे कि वह फिर से जी उठे. इस उम्मीद में कि कहीं वह व्यक्ति जिंदा निकले, शव को जलाना या दफनाना सही नहीं माना जाता था.

कुछ मान्यताओं के अनुसार पानी में जाने से शरीर पर पड़ा विष उतर सकता है. इसलिए भी शव को जल में प्रवाहित करना एक तरह से जीवन की एक और संभावना मानकर किया जाता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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