बुरहानपुर. मध्य प्रदेश में आज भी कई पुरानी परंपराओं का लोग निर्वहन करते हैं. ऋषि पंचमी के अवसर पर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के उतावली नदी के तट पर स्थित अड़वाल मंदिर पर मेले का आयोजन होता है. यहां पर लोग मन्नत पूरी होने पर नाग-नागिन का जोड़ा छोड़ते हैं. मान्यता है कि जो भी यहां पर मन्नत मांगता है, वह जरूर पूरी होती है. लोग दूर-दूर से यहां पर दर्शन करने आते हैं. साल में एक दिन ऋषि पंचमी के दिन यहां पर पूजा होती है.
मंदिर के पुजारी अनिल भीकाजी चौधरी ने Bharat.one को बताया कि यह 400 साल पुराना नाग देवता का मंदिर है. यहां ऋषि पंचमी के अवसर पर मेले का आयोजन होता है. लोग यहां पर शादी-विवाह, बच्चे, व्यापार और रोजगार के लिए मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होती है तो लोग यहां पर नाग-नागिन के जोड़े छोड़ते हैं. वहीं, चांदी के नाग-नागिन भी चढ़ाते हैं. यहां पर नाग मंत्रियों द्वारा सबसे पहले पूजा अर्चना की जाती है, जिसके बाद लोग पूजा करने पहुंचते हैं. सुबह से देर शाम तक पूजा होती है. साल में एक बार यहां पर पूजा होती है.
तीन राज्यों से आते हैं भक्त
मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस मंदिर पर साल में एक बार पूजा अर्चना होती है, इसलिए, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से भक्त पहुंचते हैं. कुछ लोग मन्नत मांगते हैं तो कुछ लोग मन्नते उतारने के लिए आते हैं. सुबह से ही मंदिर पर लोगों की भीड़ लगना शुरू हो जाती है.
जिले में दो नाग मंत्री
मंदिर के पुजारी अनिल भीकाजी चौधरी ने बताया कि इस मंदिर से जुड़े हुए दो नाग मंत्री हैं. एक भावसार कैलाश चुन्नीलाल भागवत और दूसरे अरुण बब्बल भाई सूर्यवंशी दोनों सबसे पहले उतावली नदी में सात बार स्नान करके जल चढ़ाते हैं. इसके बाद पूजा करते हैं. उनके द्वारा नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है.
FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 18:03 IST