दरभंगा : तीज का व्रत खास कर सुहागिन महिलाओं के लिए प्रचलित है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिला की सुहाग की रक्षा खुद महादेव करते हैं. क्योंकि इस व्रत में शिव और पार्वती की पूजा की जाती है. इस व्रत की तिथि को लेकर संशय बना हुआ है.
इन तमाम संशय को दूर करने के लिए हमने बात की कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा से जो विश्वविद्यालय से प्रकाशित होने वाले पंचांग विश्वविद्यालय पंचांग के संपादक भी हैं. इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि हरतालिका तीज व्रत हर साल भाद्र शुक्ल तृतीया को हरतालिका तीज मनाया जाता है. इसके लिए कहा गया है ‘साचह चतुर्थी युताह ग्रास्यह’ मतलब तृतीया में चतुर्थी भी ग्राज्य हो जो कि 6 सितंबर को हो रहा है. इसलिए 6 सितंबर को ही हरितालिका तीज व्रत मनाया जाएगा. बताते चलें कि हरतालिका तीज हर सुहागिन महिला अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है.
इस व्रत को करना इतना आसान नहीं है, जितना आप सोच रहे होंगे. बहुत ही कठिन और परिश्रम से भरा यह व्रत माना जाता है. इस पर्व में महिला निखंड व्रत रखती है. जल का एक बूंद तक महिला अपने मुख में नहीं लेती है. मान्यता है कि सबसे पहले इस पर्व को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए किया था. इस पर्व के करने से उनका सुहाग अखंड रहे इसके लिए मां पार्वती ने इस व्रत को रखा था. तब से यह प्रचलित है. सुहागिन महिला इस पर्व में सुहाग से संबंधित सभी सामग्रियों को मां पार्वती को अर्पित करती हैं तो वहीं भगवान शिव को धोती और गमछा भी चढ़ाया जाता है. इन तमाम वस्त्र और आभूषण को बाद में कुल पुरोहित को दान कर दिया जाता है.
FIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 21:10 IST