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सोमवती कुश गृहणी अमावस्या पर करें ये काम, बरसेगी पितरों की कृपा! नैनीताल के ज्योतिषी से जानें सब


नैनीताल: हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा का विशेष रूप से महत्व है. शास्त्रों में भी पूर्णिमा और अमावस्या के दिन से जुड़े विशेष महत्वों का वर्णन मिलता है. ऐसी ही एक अमावस्या है कुश गृहणी अमावस्या. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कुश ग्रहणी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. इसे देव -पितृ कार्य अमावस्या या पिठौरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष यह अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को मनाई जाएगी, मान्यता है कि इस दिन व्रत और अन्य पूजन कार्य करने से पितरों की आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव होते है, इसीलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और दान-पुण्य का अत्याधिक महत्व होता है. इस दिन कुश से पूजा की जाती है.

नैनीताल के ज्योतिषी पंडित प्रकाश जोशी बताते हैं कि 2 सितंबर को कुश ग्रहणी अमावस्या मनाई जाएगी. इस दिन अहोरात्र तक अमावस्या तिथि रहेगी. यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन मघा नामक नक्षत्र 46 घड़ी आठ पल अर्थात मध्य रात्रि 12:20 तक है. यदि योग की बात करें तो शिवयोग 31 घड़ी 6 पल अर्थात शाम 6:20 बजे तक है. यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूप रूप से सिंह राशि में विराजमान रहेंगे.

दान का होता है विशेष महत्व
पंडित प्रकाश जोशी बताते हैं कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, पितरों की पूजा और श्राद्ध आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन विशेष कुशा का प्रयोग किया जाता है. कुशा एक खास प्रकार की घास होती है. जिसका उपयोग पूजा-पाठ के अलावा श्राद्ध आदि में किया जाता है. इस दिन वैदिक मंत्रोचार के साथ अपने हाथों में कुश लेकर पितरों की पूजा और श्राद्ध एवं तर्पण करना चाहिए. ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और पितरों को संतुष्टि और मुक्ति मिलती है.

12 सालों तक किया जा सकता है कुशा का उपयोग
पंडित प्रकाश जोशी आगे बताते हैं कि कुश गृहणी अमावस्या यां कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन निकली हुई कुशा वर्ष भर उपयोग की जा सकती है. संयोग से यदि इस दिन सोमवार हो तो यह कुश 12 वर्षों तक उपयोग की जा सकती है. हमारे धर्म शास्त्रों में 10 प्रकार के कुश का वर्णन मिलता है. कुशा, कांशा, यवा, दुर्वा उशीराच्छ, सकुंदका, गोधूमा, ब्राह्मयो, मौन्जा, दश दभो,सबल्वजा।।

  • मान्यताओं के अनुसार घास के इन दस प्रकारों में जो भी घास आसानी से मिल सके उसे पूरे वर्ष के लिए एकत्रित कर लिया जाता है.
  • खास बात ये है कि सूर्योदय के समय घास को केवल दाहिने हाथ से उखाड़ कर ही एकत्र करना चाहिए और उसकी पत्तियां पूरी की पूरी होनी चहिए.
  • ध्यान रहे कुशा का सिरा नुकीला होना चाहिए. और यदि इसमें सात पत्ते हो तो सर्वोत्तम होता है. इसका कोई भाग कटा फटा न हो.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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