पलामू: हरतालिका तीज का त्योहार नजदीक है. इस त्योहार पर सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की उन्नति और रक्षा के लिए निर्जला व्रत करती हैं. मान्यता है कि माता पार्वती ने इस पर्व को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था, जिसके बाद से हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं भी इस व्रत को करती आ रही हैं.
वहीं, हरतालिका तीज को लेकर भी एक अद्भुत मान्यता है. इस पर्व में श्रृंगार के समान को दान करने की प्रथा का निर्वहन किया जाता है, मगर क्या आप जानते हैं कि डाली में श्रृंगार का सामान दान क्यों किया जाता है? इस त्योहार में सुहागिन महिलाएं उपवास रखती हैं और 16 श्रृंगार कर पति की रक्षा के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती से कामना करती हैं. इस दौरान महिलाएं ब्राह्मणों को श्रृंगार का सामान दान करती हैं, जिसका विशेष महत्व है.
इसलिए दिया जाता है ब्राह्मणों को दान
मेदिनीनगर स्थित भगवती भवन के पुजारी श्याम बाबा बताते हैं कि शास्त्रों में कहा गया कि ब्राह्मणों को जो दान किया जाता है, वह भगवान तक पहुंचता है. किसी भी कार्य में माध्यम की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार भगवान को दान देना हो तो ब्राह्मण को दान दिया जाता है. यह भगवान को दान देने के बराबर है. इसलिए तीज में सुहागिन महिलाएं अपने श्रृंगार का दान करती हैं, जिससे उनका श्रृंगार सुरक्षित रह सके. डाली में सजाकर प्रसाद, फल और श्रृंगार का सामान दान किया जाता है. इससे सदा सुहागन का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
50 से 80 रुपये में श्रृंगार का सामान
डाल्टनगंज के बाजार में पूजा को लेकर कई स्टॉल लगाए गए हैं, जहां डाली में सजाकर श्रृंगार के सात समान दिए जा रहे हैं. इसकी कीमत 50 से 80 रुपये के बीच है. दुकान संचालक मुन्ना कुमार ने बताया कि हरतालिका तीज को लेकर दो तरह की डाली में सजाकर श्रृंगार के समान दिए जा रहे हैं. 50 रुपये में छोटे साइज और 80 रुपये में बड़े साइज के समान दिए जा रहे हैं. इसमें श्रृंगार के साथ चूड़ी, सिंदूर, ब्लाउज पीस, नेल पॉलिश, आइना व अन्य सामान हैं.
FIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 15:51 IST
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