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होली से एक माह पहले इस शहर में निभाई जाती है यह खास गांव शाही ‘होली का डंडा रोपित’ परंपरा, जानें इसके पीछे की कहानी


Agency:Bharat.one Rajasthan

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पाली में होली से एक माह पहले डंडा रोपने की परंपरा निभाई जाती है. सूरजपोल चौराहे पर विधि विधान से डंडा रोपा गया है. देश भर में 14 मार्च को होली मनाई जाएगी.

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गांवशाही

गांवशाही परंपरा निभाते पाली के लोग

हाइलाइट्स

  • पाली में होली से एक माह पहले डंडा रोपने की परंपरा है.
  • सूरजपोल चौराहे पर विधि विधान से डंडा रोपा गया.
  • फाल्गुनी गीतों का महत्व है, 14 मार्च को होली मनाई जाएगी.

पाली. राजस्थान के ऐसे कई शहर और गांव है जहां आज भी पुरानी परंपराओं को निभाया जा रहा है. उसी के तहत पाली शहर की बात करें तो एक परंपरा है, गांव शाही होली का डंडा रोपने की. होली के ठीक एक महीने पहले इस परंपरा को निभाया जाता है. उसी के तहत पाली शहर के सूरजपोल चौराहे के निकट विधि विधान के साथ पूजा कर गांव शाही होली का डंडा रोपने की परंपरा को इस बार भी निभाया गया. अब इस दौरान लोगों ने चंग की थाप पर फाग गीत गाए. अब अगले एक महीने तक फाग गीत टोलियां यहां चंग की थाप पर गाती नजर आएगी और अगले एक महीने तक मांगलिक कार्यक्रम नहीं होंगे. बता दें कि इस बार 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा.

इससे पहले सभी आई माता वडेर से चंग बजाते हुए टोली के रूप में गांव चौधरी नारायण चौधरी के नेतृत्व में सूरजपोल चौराहे पर पहुंचे. जहां पिछले करीब 50 साल से गांव शाही होली का डंडा रोपित किया जाता है. वहां युवा टीम द्वारा लाई गई होली का पूजन कर विधि-विधान से उसे रोपा किया गया. खुशी में एक-दूजे का गुड़ खिलाकर शुभकामना दी गई.

होली के एक माह पहले रोपा जाता है होली का डंडा
होली से एक माह पहले होली का डांडा रोपा जाता है. परम्परा के अनुसार, होली का आगाज डांडा रोपण से होता है. आज भी यह परंपरा कई जगह निभाई जाती है. जिस स्थान पर होलिका दहन होता है वहां एक बड़ा सा डंडा लगाया जाता है. यह डंडा भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है. होली का दहन से ठीक पहले इसे सुरक्षित निकाल लिया जाता है.

फाल्गुनी लोक गीतो का महत्व
इस पूरी परंपरा के तहत बात करें तो डांडा रोपण के साथ ही शहर और गांवों में फाल्गुन और होली लोक गीतों की बयार शुरू हो जाएगी. रात तक पाली शहर की गली-मोहल्लों में चंग की थाप के साथ होली के गीतों की धमाल रहेगी. फाल्गुन के महीने में मंदिरों में भी फागोत्सवों की धूम रहेगी. भक्तों द्वारा मंदिरों में भगवान को गुलाल व फूलो से होली खेली जाएगी.

डंडा, भक्त प्रहलाद का है प्रतीक
पाली के रहने वाले नारायण चौधरी ने की मानें तो होली से एक माह पहले होली का डांडा रोपा जाता है. परम्परा के अनुसार, होली का आगाज डांडा रोपण से होता है. आज भी यह परंपरा पाली में निभाई जाती है. जिस स्थान पर होलिका दहन होता है वहां एक बड़ा सा डंडा लगाया जाता है. यह डंडा, भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है. होली का दहन से ठीक पहले इसे सुरक्षित निकाल लिया जाता है.

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होली से एक माह पहले इस शहर में निभाई जाती है यह खास गांव शाही परंपरा

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