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अगर तोड़ दिए 5 में से कोई 1 नियम…अधूरी रह जाएगी अयोध्या की 14 और 5 कोसी परिक्रमा


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14 And 5 Kosi Parikrama Of Ayodhya, : 30 अक्टूबर से प्रस्तावित 14 कोसी, 5 कोसी परिक्रमा शुरू हो रही है. धार्मिक मान्यता है कि अगर श्रद्धालु 14 कोसी या पंचकोसी परिक्रमा के पांच में से किसी एक नियम का भी उल्लंघन कर दें तो पूरी परिक्रमा अधूरी मानी जाती है.

अयोध्या : अयोध्या प्रभु राम की जन्मभूमि, धार्मिक नगरी के रूप में पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. सरयू नदी के पावन तट पर स्थित यह नगरी साल भर श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, लेकिन कार्तिक माह में इसकी भव्यता और भी बढ़ जाती है. इस समय करोड़ों श्रद्धालु अयोध्या आते हैं और 14 कोसी तथा पंचकोसी परिक्रमा करके पुण्य अर्जित करते हैं. 30 अक्टूबर से प्रस्तावित 14 कोसी, 5 कोसी परिक्रमा और कार्तिक पूर्णिमा स्नान में करीब 30 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है. आइए जानते हैं 14 कोसी, 5 कोसी परिक्रमा का महत्व और नियम.

धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी के दिन पंचकोसी परिक्रमा शुरू होती है. इस वर्ष यह परिक्रमा 1 नवंबर को सुबह 4:02 बजे शुरू होकर 2 नवंबर सुबह 2:57 बजे समाप्त होगी. वहीं 14 कोसी परिक्रमा 30 अक्टूबर सुबह 4:45 से शुरू होकर 31 अक्टूबर सुबह 4:41 बजे तक चलेगी. राम कचहरी के चारों धाम मंदिर के महंत शशिकांत दास बताते हैं कि 14 कोसी परिक्रमा करने से व्यक्ति आत्मिक रूप से शुद्ध होता है और पापों से मुक्ति मिलती है. पंचकोसी परिक्रमा करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर तक किए गए यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है.

परिक्रमा का मार्ग और दूरी
14 कोसी की परिक्रमा लगभग 42-45 किलोमीटर तक अयोध्या शहर के चारों ओर होती है, जबकि पंचकोसी परिक्रमा अयोध्या धाम क्षेत्र के भीतर 10-15 किलोमीटर की दूरी तय करती है. श्रद्धालु इन परिक्रमाओं में प्रभु की भक्ति में लीन होकर अपने पग बढ़ाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस परिक्रमा से शरीर के पांच तत्वों की शुद्धि होती है और कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं.

परिक्रमा करने के 5 नियम

  • परिक्रमा शुरू करने से पहले श्रद्धालुओं को सरयू नदी में स्नान करना अनिवार्य है.
  • इसके बाद वे किसी निश्चित स्थल से जय श्री राम का उद्घोष करते हुए परिक्रमा आरंभ करते हैं.
  • परिक्रमा के दौरान भक्ति और प्रभु के स्मरण को बनाए रखना आवश्यक है.
  • इस दौरान सात्विक भोजन जैसे फल, मेवा और मिठाई का सेवन किया जाता है.
  • परिक्रमा पूरी करके वहीँ से वापस लौटते समय श्रद्धालु पुनः जय श्री राम का उद्घोष करते हैं और प्रमुख मठ-मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं.

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mritunjay baghel

मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु…और पढ़ें

मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु… और पढ़ें

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