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अनंत चौदस पर अनंत सूत्र बांधने का महत्व और धार्मिक परंपरा.


धर्म, अनंत चौदस, जिसे अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है और एक विशेष प्रकार का चौदह गांठों वाला रक्षा सूत्र बांधा जाता है, जिसे अनंत सूत्र कहा जाता है. इस सूत्र को बांधने की परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक भी है.

 चौदह गांठों वाला रक्षा सूत्र क्यों बांधते हैं?

इस रक्षा सूत्र में चौदह गांठें होती हैं, जो ब्रह्मांड के चौदह लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं, भूलोक से लेकर पाताल लोक तक. यह सूत्र भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को समर्पित होता है, जो सभी लोकों में व्याप्त हैं. इन गांठों का उद्देश्य जीवन के हर पहलू में भगवान की उपस्थिति और सुरक्षा का आह्वान करना है.

 अनंत सूत्र का धार्मिक महत्व

अनंत सूत्र को कच्चे सूत या रेशम के धागे से बनाया जाता है और इसे हल्दी या केसर में रंगा जाता है. पूजा के बाद पुरुष इसे दाहिने हाथ में और महिलाएंबाएं हाथ में बांधती हैं. इसे बांधते समय “ॐ अनंताय नमः” मंत्र का जाप किया जाता है. यह सूत्र 14 दिन तक बांधे रखना चाहिए और बाद में किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.

 पौराणिक कथा

महाभारत काल में जब युधिष्ठिर ने चौसर में सब कुछ हार दिया था, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी. युधिष्ठिर ने यह व्रत किया और अनंत सूत्र बांधा, जिससे उनके जीवन के संकट दूर हुए और उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति हुई.

 आध्यात्मिक लाभ

अनंत सूत्र को बांधने से व्यक्ति को संकटों से मुक्ति, आत्मिक शांति, और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. यह सूत्र जीवन में सुरक्षा, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक बनता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति लगातार 14 वर्षों तक यह व्रत करता है, उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

इस प्रकार, अनंत सूत्र केवल एक धागा नहीं, बल्कि विश्वास, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है, जो जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का माध्यम बनता है.

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