सेवादार धर्मदास ने बताया कि चामुंडा मंदिर 100 साल से ज्यादा पुराना है. यहां उस समय जंगल हुआ करता था और प्राचीन पीपल के पेड़ के नीचे ज्योत उत्पन्न हुई थी, जिसके बाद से यहां श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया. कुछ साल पूर्व ही मां काली की दिव्य प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है. प्रतिमा का आकर्षण नयनाभिराम है. मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु घंटा चढ़ाते हैं.
