Yamraj Uttarakhand Connection: उत्तराखंड को देवों की भूमि के नाम से जाना जाता है. लेकिन उत्तराखंड और यमराज…भला इन दोनों के बीच क्या कनेक्शन है. दरअसल उत्तराखंड में एक प्राचीन गुफा है, जिसे यमराज की गुफा के नाम से जाना जाता है. यमराज की यह गुफा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में नचिकेता ताल के पास है. नाम है यम गुफा. पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज का उत्तराखंड से रिश्ता है. यमराज हर साल उत्तराखंड में आते हैं और उसके बाद अपने लोक चले जाते हैं.
उत्तराखंड से यमराज का रिश्ता
हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि हर साल यमराज उत्तराखंड में आते हैं और उसके कुछ घंटे बाद ही यहां से चले जाते हैं. दिवाली के दो दिन बाद भैया दूज का पर्व यानी यम द्वितीया पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन यमराज अपनी बहन से मिलकर इस पर्व को मनाते हैं और तिलक करवा कर अपने लोक लौट जाते हैं.
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार यमराज के पिता सूर्य देव, बड़े भाई शनि देव हैं और बहन यमुना है. यमुना का उद्गम स्थल उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बंदरपूछ, यमुनोत्री ग्लेशियर से माना जाता है. यमराज उत्तराखंड में अपनी बहन यमुना से मिलकर पर्व मनाते हैं. यमराज हर साल दिवाली के दो दिन बाद भैया दूज यानी यम द्वितीया पर्व के दिन अपनी बहन यमुना से मिलकर पर्व मनाते हैं और पर्व मनाने के बाद वह अपने लोक लौट जाते हैं.
इस दिन यमुना में स्नान का महत्व
यमुना भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जिसे देवी मां का दर्जा दिया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि यम द्वितीया के दिन यमुना में स्नान किया जाए तो व्यक्ति के जन्मों जन्मांतर के सभी पाप खत्म हो जाते हैं. इस दिन ‘यमुना स्तोत्र’ का पाठ और देवी यमुना के मंत्रों का जाप करने से भी विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. साथ ही यम देवता भी अपनी कृपा बनाए रखते हैं. इस दिन यमुना में स्नान करने और यमुना के मंत्रों का जाप करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है.
FIRST PUBLISHED : October 25, 2024, 15:01 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.







