पूर्णिया:- सनातन धर्म में पंचांग का विशेष महत्व है. वहीं सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य पंचांग के बिना नहीं किया जाता है. पंचांग भी अलग-अलग पद्धति से तैयार किया जाता है. जानकारों के मुताबिक, पंचांग तैयार करने के लिए कई महीनों तक ज्योतिष के अध्ययन और प्रयास से पंचांग बनाने का काम सफल होता है. शुभ कार्यों के लिए पंचांग और शुभ मुहूर्त जैसे पर्व, त्यौहार की हर तारीख पंचांग पर ही निर्भर होती है. वही पंचांग मिथिला, वनारसी सहित अन्य तरह के होते हैं.
इन पांच अंगों के समावेश से होता है तैयार
जानकारी देते हुए पूर्णिया के ज्योतिष आचार्य वंशीधर झा कहते हैं कि हमारे सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने के लिए सबसे पहले पंचांग देखने की परंपरा है. पंचांग में निर्धारित तारीख ही लोगों के लिए शुभता का प्रतीक होता है. इसे जानने के बाद ही लोग शुभ कार्य करने का सोचते हैं. पंचांग बनाने के लिए सबसे पहले ज्योतिषी को पांच अंगों पर ध्यान देना होता है. वहीं पंचांग के पांच अंग होते हैं, तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण. ये पांचों मिलकर हमें एक दिन के संपूर्ण खगोलीय घटनाओं की जानकारी देते हैं. आप किसी खास दिन की ज्योतिषीय गणना करना चाहते हैं, तो इन पांचों अंगों के आधार पर आप उस दिन का खगोलीय नक्शा और ज्योतिष गणना तैयार कर सकते हैं.
पंचांग का क्या है महत्व
पंचांग शब्द बहुत रोचक के साथ धर्म संस्कृति से जुड़ी एक सच्चाई है, जिसकी बदौलत लोग सही और शुभ कार्य शुभ समय में करते हैं. वही पंचांग को “पंचांग” कहने के पीछे एक बहुत ही गहरा और रोचक कारण है. ये केवल नाम नहीं है, बल्कि इस नाम के पीछे वैदिक परंपरा और भारतीय ज्योतिष का ज्ञान छिपा है. असल में “पंचांग” शब्द संस्कृत के दो शब्दों से बना है–”पंच” जिसका अर्थ होता है पांच और “अंग” जिसका अर्थ होता है भाग या अंग. एक पंचांग को बनाने में महीनों भर लग जाते हैं और कई विद्वान की मेहनत से यह ज्योतिष गणना कर लोगों को सटीक जानकारी मिलती है.
FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 11:01 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.