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आग में पहले लोहा होता है गर्म, फिर शरीर पर बनाई जाती है छाप; बरसों इंतजार के बाद इस मेले की अनोखी परंपरा

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बाड़मेर:- भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के एक मन्दिर की छाप को अपनी भुजा पर लगाने के लिए लोगों को 7 से 20 साल तक का इंतजार करना पड़ता है. मरुकुम्भ के नाम से जाने जाने वाले इस मेले का संयोग इस बार 7 साल बाद बना है. चौहटन कस्बे के सुईया पोषण मेले में मठ के आगे इस छाप को लगाने के लिए हजारों लोगों की कतारें नजर आती हैं. सुर्ख लाल लोहे से लोगो के बांह पर खास छाप इस अर्धकुंभ की खास निशानी है.

बाजू पर सबसे ऊपर लगती है सुईया मठ की छाप
सुईयां मेले में आने वाले श्रद्धालु अपनी बाजू पर मठ और मेले की छाप लगवाते हैं. मान्यता है कि देशभर के सभी तीर्थ और मेलों में लगाई जाने वाली छाप चौहटन मठ की छाप से नीचे ही लगती है. अगर किसी ने पहले ही किसी स्थान पर छाप लगा रखी है, तो यहां उसके ऊपरी हिस्से में छाप लगती है. साथ ही यहां की छाप लगा कोई श्रद्धालु अन्य स्थान पहुंचता है, तो वहां इसके निचले हिस्से में ही छाप लगाई जाती है. इस बार सुईया मेले में लाखों श्रद्धालु इसे अपनी भुजा पर लगवा रहे हैं.

आप भी सुईया मेले में यहां लगवा सकते हैं छाप
सूईया मेले के दौरान छाप लगवाने के लिए मठ के आगे वाले गेट धर्मराज मंदिर के पास, पीछे वाले गेट पर जाल के पास और भजन-सत्संग के मंच के पास छाप लगाने के स्थान निर्धारित किए गए हैं. श्रद्धालु छाप लगवाने के लिए लम्बी-लम्बी कतारों में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. सबसे खास बात यह है कि यह अमिट छाप होती है, जो अग्नि में लोहे को गर्म करके भुजा पर लगाई जाती है.

पांच योग एक साथ होने पर लगता है सुईयां पोषण मेला
विक्रमी संवत के अनुसार, पौष माह, अमावस्या, सोमवार, व्यातिपात योग और मूल नक्षत्र का योग एक ही समय में मिलने पर ही सुईयां का पवित्र स्नान मेला लगता है. इस पांच योग के पवित्र संगम पर पांच पवित्र स्थलों के पवित्र जल से श्रद्धालु स्नान करते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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