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आने वाला है वो दिन…जब आग में दिखेंगे गजानन! जानें अति दुर्लभ प्रतिमा वाले इकलौते महागणपति मंदिर की महिमा


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Uchchhisht Mahaganpati Mandir: खरगोन में गणेशजी की अनोखा मंदिर है. इसकी महिमा भी अनोखी है. यहां अति दुर्लभ प्रतिमा तो है ही, हर साल यहां एक चमत्कार भी हेाती है. जानें क्या…

Khargone News: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के सनावद में उच्छिष्ट महागणपति का एक दुर्लभ मंदिर है, जो देश का इकलौता मंदिर भी है. यहां भगवान गणेश के पट हर महीने केवल चतुर्थी को ही खुलते हैं. शेष दिनों में पट बंद रहते हैं. मान्यता है कि गणेशोत्सव के अंतिम दिन भगवान स्वयं प्रकट होकर भक्तों को दिव्य दर्शन देते हैं. हर साल इस दिव्य यज्ञ में शामिल होने और भगवान के दर्शन के लिए भक्त न केवल मध्य प्रदेश बल्कि अन्य राज्यों से भी यहां पहुंचते हैं.

पुजारी जी को आग नहीं जलाती
बता दें कि गणेशोत्सव के दौरान यहां का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है. वहीं, आखिरी दिन होने वाला दिव्य यज्ञ विशेष आकर्षण का केंद्र होता है. इस अनुष्ठान के दौरान मंदिर के पुजारी पंडित आशीष बर्वे जलते हुए हवन कुंड की आग पर लेट जाते हैं. अग्नि की तेज लपटें भी उन्हें छू नहीं पातीं. यह दृश्य हर किसी को आश्चर्य चकित कर देता है. कहते हैं कि उसी समय भगवान गणेश अग्नि में प्रकट होकर भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं.

यहां गणेश जी की अति दुर्लभ प्रतिमा
यहां स्थापित प्रतिमा भी मंदिर को खास बनाती है. गर्भगृह में भगवान गणेश चतुर्भुज स्वरूप में कमलासन पर विराजमान हैं और उनकी गोद में नील सरस्वती देवी विराजती हैं. इस स्वरूप को न केवल दुर्लभ बल्कि अद्वितीय भी माना जाता है, क्योंकि ऐसी मूर्ति दुनिया के किसी और मंदिर में नहीं मिलती. यहां भगवान को पूर्ण कलाओं के साथ विराजमान माना जाता है और इसी वजह से इस मंदिर का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है.

दर्शन से कई गुना अधिक लाभ
मान्यताओं के अनुसार, भक्त यदि पान, लड्डू या गुड़ का सेवन करते हुए भगवान के दर्शन करें तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. कहा जाता है कि यहां किया गया साढ़े 12 हजार मंत्र जाप, सवा लाख जाप के बराबर फल देता है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु यज्ञ में आहुति डालने, भगवान के दर्शन पूजन के लिए पहले से बुकिंग करवाते हैं. इस साल दिव्य यज्ञ में करीब 84 परिवार आहुति डालेंगे.

यज्ञ में शामिल होने के नियम
पुजारी ने बताया, इस साल दिव्य यज्ञ 5 सितंबर, शुक्रवार को संपन्न होगा. यज्ञ में शामिल होने वाले भक्तों को पहले घर पर एक नारियल पर स्वस्तिक बनाकर पूजन करना होगा और लाल स्याही से अपनी मनोकामना एक कागज पर लिखकर मंदिर लेकर आना होगा. वहीं, यज्ञ में शामिल होने के लिए लाल वस्त्र पहनना अनिवार्य है. पुरुषों के लिए लाल धोती, दुपट्टा या कुर्ता और महिलाओं के लिए लाल साड़ी, शूट आदि पहन सकती है.

दिव्य यज्ञ का समय
सुबह 8:45 बजे देव पूजन से कार्यक्रम की शुरुआत होगी, 9:30 से 11 बजे तक संकल्प की प्रक्रिया चलेगी और ठीक 11:50 बजे अग्नि स्थापन कर दिव्य यज्ञ प्रारंभ होगा. जो भक्त यज्ञ आहुति नहीं डालना चाहते, वह दोपहर बाद अग्नि स्थापना के समय मंदिर आकर भगवान के दिव्य दर्शन, पूजन कर सकते हैं.

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