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इस महीने किए कर्म बदल देते हैं किस्मत! करौली में ज्योतिषाचार्य ने बताया मार्गशीर्ष का अद्भुत रहस्य


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Margashirsh Month Panchang : मार्गशीर्ष माह हिंदू पंचांग का सबसे पवित्र काल माना जाता है, जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अपना महीना कहा है. इस समय में जप, तप, ध्यान और सत्संग का महत्व कई गुना बढ़ जाता है और किए गए पुण्य कर्म विशेष फल देते हैं. करौली के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस महीने में भागवत गीता पाठ, विष्णु सहस्रनाम और भगवान श्रीकृष्ण की उपासना से घर में सुख-समृद्धि आती है. मार्गशीर्ष में स्नान, दान, तीर्थयात्रा और व्रत-त्योहार जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उत्थान लाते हैं.

करौली. हिंदू पंचांग में बारहों महीनों का अपना-अपना महत्व माना गया है, लेकिन इनमें मार्गशीर्ष माह को सबसे विशेष स्थान प्राप्त है. यह वही पवित्र महीना है जिसे स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने भगवद् गीता में “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” कहकर अपना महीना बताया है. इसी कारण यह महीना दिव्यता, पुण्य और आध्यात्मिक उत्थान का काल माना जाता है. इसी पावन समय में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म और ज्ञान का उपदेश देकर भगवद् गीता का अमृत प्रदान किया था.

करौली के कर्मकांड ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष उपाध्याय बताते हैं कि मार्गशीर्ष माह जप, तप, ध्यान, सत्संग और भजन-कीर्तन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस महीने में प्रतिदिन भागवत गीता, विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है. उनका कहना है कि इस माह में किया गया जप और दान सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फल देता है.

मार्गशीर्ष में स्नान, तीर्थ और पुण्य कार्यों का विशेष महत्व
धार्मिक मान्यता है कि इस माह में गंगा और यमुना में स्नान, ब्रज 84 कोस की परिक्रमा और तीर्थ दर्शन अत्यंत शुभ माने जाते हैं. करौली और ब्रज क्षेत्र में इस समय श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ पूजन-अर्चन और दर्शन करने पहुंचती है. ऐसा माना जाता है कि इस महीने में किया गया कोई भी सत्कर्म मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है.

इस माह से जुड़े महत्वपूर्ण धार्मिक प्रसंग
पंडित उपाध्याय बताते हैं कि मार्गशीर्ष माह केवल श्रीकृष्ण उपदेश का स्मरण कराने वाला समय ही नहीं है, बल्कि कई महत्वपूर्ण धार्मिक घटनाओं से भी संबंधित है. इसी माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम और माता जानकी का पाणिग्रहण संस्कार हुआ था जिसे विवाह पंचमी के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है. इस कारण यह महीना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है.

व्रत, त्योहार और आचरण के नियमों से भरा पवित्र काल
मार्गशीर्ष माह में आने वाले व्रत और त्योहार पूरे महीने को दिव्यता से भर देते हैं. शास्त्रों में इस महीने के हर दिन को शुभ और पुण्यदायी बताया गया है. इस समय व्यक्ति को लहसुन-प्याज, मांस-मदिरा, अपशब्द, क्रोध, चुगली और किसी भी प्रकार के अनादर जैसे कर्मों से दूर रहने की सलाह दी जाती है. ऐसा करने से मन की पवित्रता बनी रहती है और भक्ति का मार्ग सरल होता है. मार्गशीर्ष माह केवल एक महीना नहीं बल्कि एक साधना काल है जो मन को शांत रखने, भगवान का स्मरण करने और सत्कर्म करने का संदेश देता है.

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Anand Pandey

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें

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