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ऋषि मार्कंडेय को यहां हुए थे मां गौरी के दर्शन, गंगा के समान है कुंड का जल, मां पार्वती के रूप में विराजमान हैं माता

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पुजारी विशाल दत्त जोशी ने आगे बताया कि मंदिर परिसर में अति प्राचीन कुंड है जिसे गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है. इस कुंड का जल शीतल व गंगा के समान है.

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 गौरीकुंड माता मंदिर अजमेर

हाइलाइट्स

  • अजमेर से 20 किमी दूर है गौरीकुंड माता का मंदिर.
  • मंदिर में प्राचीन कुंड का जल गंगा के समान है.
  • नवरात्र में दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं.

अजमेर. अजमेर से 20 किलोमीटर दूर सराधना और मकरेडा गांव के पास अरावली पर्वत शृंखला की गोद में गौरीकुंड माता का अति प्राचीन मंदिर मौजूद है. यहां सतयुग से मां गौरी यानी मां पार्वती के रूप में विराजित है. इस स्थान को सिद्ध माना जाता है. माता का यह पवित्र धाम मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि रहा है. माना जाता है कि ऋषि मार्कंडेय को यहीं पर माता ने दर्शन दिए थे. मंदिर में गौरी मैया की स्वंयभू प्रतिमा है जो जनआस्था का केंद्र है.

मंदिर के पुजारी विशाल दत्त जोशी ने बताया कि मंदिर में हजारों साल पुरानी माता की प्रतिमा मौजूद है , जो कि स्वयं प्रकट हुई थी. माता की सांसारिक प्रतिमा को भक्तों ने स्थापित किया है. माता की प्रतिमा के समीप प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग और उनके साथ गणेश, कार्तिकेय, पार्वती की प्रतिमा भी है. यह शिव परिवार बाद में यहां स्थापित किया गया है.

गंगा के समान है कुंड का जल 
मंदिर के पुजारी विशाल दत्त जोशी ने आगे बताया कि मंदिर परिसर में अति प्राचीन कुंड है जिसे गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है. इस कुंड का जल शीतल व गंगा के समान है. कुंड के जल का सेवन करने से कई रोग दूर होते हैं. उन्होंने आगे बताया कि जिन लोगों के काम माता की कृपा से बन जाते हैं वह यहां आकर प्रसादी करते हैं. हजारों लोगों की प्रसादी में कुंड का जल ही उपयोग में लिया जाता है, लेकिन यह जल कभी खत्म नहीं होता है. सर्दी में कुंड का जल गर्म और गर्मी में ठंडा रहता है. यहां नवरात्र में दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं. यहां राधाष्टमी पर गौरी कुंड माता का मेला भी भरता है.

पुजारी ने आगे बताया कि यह स्थान ऋषि ऋषि मार्कंडेय के साथ-साथ बनखंडी बाबा की तपोस्थली रही है. मंदिर के गर्भगृह के सामने उनकी धूनी आज भी है. उन्होंने आगे बताया कि मंदिर का विकास कार्य भी बनखंडी बाबा ट्रस्ट के द्वारा होता जा रहा है. बनखंडी महाराज के प्रयासों से ही मंदिर को भव्यता मिली है.

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ऋषि मार्कंडेय को यहां हुए थे मां गौरी के दर्शन, गंगा के समान है कुंड का जल

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