अल्मोड़ा: उत्तराखंड में एक मंदिर ऐसा है, जहां देवी चमत्कार करती हैं. मंदिर का नाम है नंदा देवी मंदिर. इस मंदिर का शक्ति इतना ज्यादा है कि एक दफा मूर्ति हटाने की वजह से कमिश्नर अंधे हो गए थे. भक्त मंदिर में मन्नत मांगने दूर-दूर से आते हैं.
अल्मोड़ा का नंदा देवी मंदिर
अल्मोड़ा जिले में एक ऐसा ही मंदिर स्थापित है, जिसकी शक्तियों का प्रमाण आज भी देखने को मिलता है. अंग्रेजों के समय में कुमाऊं कमिश्नर रहे ट्रेल के द्वारा माता नंदा देवी की मूर्तियों को डियोली पोखर में रखवाया गया. जब ट्रेल हिमालय की यात्रा कर रहे थे, तो तब उनकी आंखों की रोशनी चली गई. बताया जाता है कि उनकी पत्नी हिंदू धर्म को मानती थीं और वह डियोली पोखर में गई. इसके बाद माता की मूर्ति को वर्तमान के नंदा देवी मंदिर परिसर में विधिवत रूप से स्थापित की गई. हर साल सितंबर के माह में यहां पर मेला आयोजित होता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं.
पुजारी ने बताई दिलचस्प कहानी
नंदा देवी की पुजारी तारा चंद्र जोशी ने बताया कि मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ब्रिटिश काल में नंदा देवी का मंदिर वर्तमान के मल्ला महल में स्थापित था. कमिश्नर ट्रेल के द्वारा माता की मूर्तियों को हटा दिया गया. माता को जब क्रोध आया, तो उन्होंने ट्रेल की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगी और वह अंधे हो गए. तब उन्हें लगा कि उनसे कुछ न कुछ गलती हुई है और वह मंदिर में आए और माता की मूर्ति को वर्तमान के नंदा देवी मंदिर में स्थापित की.
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अंधे हो गए थे कुमाऊं कमिश्नर ट्रेल
प्रोफेसर अजय रावत बताते हैं कि राजा बाज बहादुर चंद ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में मां नंदा देवी का मंदिर बनवाकर उन्हें स्थापित किया. लेकिन जब 1815 में अंग्रेज आए, तो उस समय के कुमाऊं कमिश्नर जी डब्ल्यू ट्रेल ने इसे अल्मोड़ा के वर्तमान नंदा देवी मंदिर में स्थापित किया. आगे उन्होंने ये भी बताया कि कमिश्नर ट्रेल को मां भगवती के रोष का सामना करना पड़ा. जब वह जोहार घाटी के दौरे में थे, तो उनकी आंखों की रोशनी चली गई. इसके बाद उन्होंने धार्मिक विशेषज्ञों की सलाह पर वापस आकर मां से माफी मांगी और उसके बाद उनकी आंखों की रोशनी वापस आ गई.
FIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 11:42 IST
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