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एक नदी के लिए 60 हजार साल का इंतजार! कैसे मां पार्वती की प्रतिक्षा आई काम? यहां आए बिना तीर्थ अधूरा


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Gauri Shankar Mahadev Mandir : इस मंदिर में पूजा किए बिना ऋषिकेश का तीर्थ अधूरा रहता है. मंदिर के पास ऋषि कुब्जा मृग की कुटिया है, जो इस जगह को भी खास बनाती है. इसके मोह में आदि गुरु शंकराचार्य भी आ चुके हैं.

ऋषिकेश. उत्तराखंड के ऋषिकेश को देवभूमि कहा जाता है, क्योंकि यहां हर घाट, हर मंदिर और हर धाम में अध्यात्म और इतिहास की गहरी झलक देखने को मिलती है. गंगा तट पर बसा त्रिवेणी घाट तो स्वयं ही दिव्यता और श्रद्धा का प्रतीक है. इसी त्रिवेणी घाट पर स्थित है प्रसिद्ध गौरी शंकर महादेव मंदिर, जो न केवल शिव-पार्वती के आशीर्वाद का केंद्र है बल्कि ऋषि कुब्जा मृग की गाथा से भी जुड़ा हुआ है. इस मंदिर का इतिहास अत्यंत रोचक है. यही कारण है कि ऋषिकेश आने वाले सभी तीर्थयात्री और पर्यटक इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं. Bharat.one से बातचीत में महंत गोपाल गिरी बताते हैं कि गौरी शंकर महादेव मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने कराया था. यहां स्थापित मां पार्वती की मूर्ति अत्यंत प्राचीन और चमत्कारिक मानी जाती है. ऐसा विश्वास है कि इस मंदिर की यात्रा किए बिना ऋषिकेश का तीर्थ अधूरा रहता है. मंदिर के साथ ही स्थित है ऋषि कुब्जा मृग की कुटिया, जो इस स्थान के महत्त्व को और भी बढ़ा देती है.

कमंडल में समाई यमुना

किंवदंती के अनुसार, मां पार्वती ने एक बार यमुना नदी को आदेश दिया कि वह ऋषि कुब्जा मृग के साथ उनकी तपस्या में सहायक बने. यमुना नदी ऋषि कुब्जा मृग के कमंडल में समाकर उनकी कुटिया में आ गई. इसके परिणामस्वरूप धरती पर यमुना नदी का प्रवाह सूख गया. मां पार्वती जब वहां पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि यमुना का जल नहीं रहा और पूरी नदी सूखी पड़ी है. उन्होंने ऋषि कुब्जा मृग की कुटिया में जाकर देखा कि ऋषि गहन तपस्या में लीन हैं. मां पार्वती ने सोचा कि ऋषि की तपस्या को बाधित करना उचित नहीं होगा. इस कारण उन्होंने संकल्प लिया कि वे उनके तप के पूर्ण होने तक प्रतीक्षा करेंगी.

तपस्या में लीन हो गए ऋषि कुब्जा

मां पार्वती का यह संकल्प असाधारण था. उन्होंने 60,000 वर्षों तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की और कुटिया के समीप ही निवास किया. इस दौरान उन्होंने केवल धैर्य और भक्ति का सहारा लिया. अंततः जब ऋषि कुब्जा मृग की तपस्या पूर्ण हुई, तब मां पार्वती ने यमुना को वापस उनके स्थान पर लौटने का आदेश दिया. इसके बाद यमुना पुनः अपने प्रवाह में बहने लगी. ऋषि की तपस्या और मां पार्वती की अटूट श्रद्धा की स्मृति में यहां गौरी शंकर महादेव मंदिर का निर्माण किया गया. इस मंदिर में आज भी वही आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस की जा सकती है, जिसे मां पार्वती ने 60,000 वर्षों तक अपने धैर्य और भक्ति से संजोया था. मंदिर परिसर में दर्शन करने वाले भक्तों को मां पार्वती की धैर्यशीलता और आस्था की अनुभूति होती है.

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Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu… और पढ़ें

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