अरविंद दुबे, सोनभद्र: सोनभद्र जिले में स्थित गौरी शंकर मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां श्रद्धालु मानते हैं कि महादेव पर एक लोटा जल चढ़ाने से उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है. इस मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह महादेव के अनन्य भक्तों के बीच विशेष स्थान रखता है.
मंदिर का प्राचीन इतिहास
गौरी शंकर मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है. कहा जाता है कि सबसे पहले यह शिवलिंग डोड़र नदी में मिला था, जो मंदिर के सामने बहती है. उस समय कोई इस शिवलिंग को उठा नहीं पा रहा था, लेकिन पवित्र माने जाने वाले काशीपति त्रिपाठी ने इसे नदी से निकालकर स्थापित किया. यह भी मान्यता है कि आज भी वसंत पंचमी और शिवरात्रि के दिन सबसे पहले काशीपति त्रिपाठी के वंशज ही शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं.
मंदिर का निर्माण बड़हर रियासत की महारानी कुंवर बेद सरन ने करवाया था. मंदिर के पहले पुजारी शिव चरण गिरी (नागा) महंत थे, जिनके शिष्य गोविंद गिरी और बाद में प्रताप गिरी पुजारी बने. वर्तमान में उनके वंशज मंदिर के प्रधान पुजारी हैं.
अद्भुत शिवलिंग और मंदिर की विशेषताएं
यह शिवलिंग 11वीं शताब्दी से भी पहले का बताया जाता है और यह काले और लाल पत्थर से मिलकर बना है. शिवलिंग में माता गौरी की आकृति दिखाई देती है, और उनकी जटाओं से बहती मां गंगा की धारा को भी दर्शाया गया है. इसी कारण से इस गांव का नाम गौरी शंकर रखा गया. मंदिर परिसर में सैकड़ों साल पुराना बरगद का पेड़ भी है, जो यहां की ऐतिहासिकता और धार्मिकता को और अधिक विशेष बनाता है.
मंदिर तक पहुंचने का रास्ता
गौरी शंकर मंदिर तक पहुंचना बहुत आसान है. यह मंदिर जिला मुख्यालय से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. राबर्ट्सगंज-घोरावल मार्ग पर स्थित इस मंदिर तक आप निजी वाहन, बस या ऑटो के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं. हर साल यहां पर मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं.
विशेष धार्मिक आयोजन और मंदिर की मान्यता
मंदिर के प्रधान पुजारी महेश गिरी ने Bharat.one से खास बातचीत में बताया कि यह मंदिर लगभग एक हजार साल पुराना है. यहां यूपी और अन्य राज्यों से भी भक्त दर्शन करने आते हैं. मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की महादेव उसकी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं. मंदिर परिसर में शादी, विवाह और मुंडन जैसे धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है, और विभिन्न मौकों पर यहां मेले भी लगते हैं, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं.
FIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 16:27 IST
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