शुभम मरमट / उज्जैन. हिन्दू धर्म में करवा चौथ का व्रत हर साल खास महत्व के साथ मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए सोलह श्रृंगार करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं. इस बार करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा.
लेकिन सवाल यह है कि जब कोई महिला गर्भवती हो, तो क्या वह बिना पानी और भोजन लिए पूरा दिन व्रत रख सकती है?
क्या कहता है शास्त्र?
उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज का कहना है कि शास्त्रों में गर्भवती स्त्रियों को करवाचौथ व्रत रखने से रोका नहीं गया है. वे व्रत रख सकती हैं, लेकिन उन्हें कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना होगा. धार्मिक मान्यता है कि अगर कोई महिला निर्जला उपवास न करके फलाहार या जलाहार करती है, तो भी माता करवा और चंद्रदेव उसकी भावना और श्रद्धा को स्वीकार करते हैं.
आचार्य का कहना है कि व्रत का असली महत्व कठोर नियमों में नहीं, बल्कि मन की श्रद्धा और संकल्प में है.
गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी सावधानियां
निर्जला व्रत न रखें.
फल, दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन करें.
मेवे और बीजों को आहार में शामिल करें.
केले, अनार और पपीते जैसे फाइबर युक्त फल खाएं, जो शरीर को दिनभर तरोताज़ा रखेंगे.
फलों का जूस, दूध और पर्याप्त पानी पीते रहें.
डॉक्टर क्या कहते हैं?
विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय है कि गर्भावस्था में पूरा दिन खाली पेट रहना मां और बच्चे, दोनों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. लंबे समय तक निर्जला रहने से शरीर में पानी की कमी और कमजोरी आ सकती है. यही वजह है कि डॉक्टर सलाह देते हैं कि गर्भवती महिलाएं करवाचौथ पर व्रत रखने से पहले अपने गाइनोकॉलजिस्ट या डॉक्टर से सलाह जरूर लें.