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करौली में दिवाली पर घर-घर भरी जाती है मिट्टी की हाट, शुभता और लक्ष्मी पूजन का प्रतीक, जानें इससे जुड़ी मान्यताएं


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Karauli Diwali Tradition: धार्मिक नगरी करौली में दिवाली पर निभाई जाने वाली हाट परंपरा अति प्राचीन है. घर-घर में मिट्टी की हाट भरी जाती है, जिसे शुद्धता और शुभता का प्रतीक माना जाता है. हाट में लट्टू, बर्फी, इमरती जैसी मिठाइयां रखी जाती हैं और इसे बिना किए लक्ष्मी पूजन अधूरा माना जाता है. यह परंपरा शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है और इसे छोटे बच्चों की दीर्घायु व परिवार की वंश वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है.

करौली

धार्मिक नगरी करौली अपनी प्राचीन और अनूठी परंपराओं से राजस्थान ही नहीं बल्कि देशपर में मशहूर में है. हिंदू धर्म के हर बड़े पर्व को लेकर यहां पर कई स्थानीय परंपराएं पुराने जमाने से आज तक चली आ रही है. दिवाली पर निभाई जाने वाली हाट परंपरा उन्हीं खास परंपराओं में से एक है.

करौली

दिवाली पर यहां लक्ष्मी पूजन के समय घर-घर में मिट्टी की हाट भरी जाती है. यही वजह है कि दिवाली का पर्व नजदीक आते ही करौली के बाजार मिट्टी के दीपकों के साथ ही मिट्टी की हाटों से भी सज जाते हैं. हाट में आपको रंग-बिरंगे मिट्‌टी के बड़े-बड़े दीए मिल जाएंगे.

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महीनेभर पहले ही यहां के स्थानीय कुंभकार परिवार इन मिट्टी की हाथों को अपने चौक पर आकार देना शुरू कर देते हैं. मिट्टी और गोबर के मिश्रण और कुंभकार के हाथों से तैयार होने वाली इन हाटों को आज भी करौली में शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. आज भी यहां सोने और चांदी से बनी हाट, मिट्टी की हाट की जगह नहीं ले पाई है. स्थानीय लोग आज भी यहां मिट्टी की हाटों को ही दीपावली के पर्व सबसे ज्यादा महत्व देते हैं.

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यहां के स्थानीय बुजुर्ग, ज्योतिषी और पंडित बताते हैं कि हाट परंपरा करौली की अति प्राचीन परंपराओं में से एक है. जो यहां आदिकाल से ही दीपावली के पर्व पर चली आ रही है. इसे करौली में उत्सव के तौर पर देखा जाता है और परंपरा का निर्वहन किया जाता है.

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स्थानीय कुंभकार धन्नो देवी बताती हैं कि करौली में घर-घर में दिवाली पर हाट भरी जाती है. करौली में दीपावली पर मिट्टी की इस हाट को भरना बहुत शुभ माना जाता है. वह बताती हैं कि यह हाट छोटे बच्चों की दीर्घायु और परिवार की वंश वृद्धि के लिए यहां घर-घर में दीपावली पूजन के समय भरी जाती है.

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इन मिट्टी की हाटों को करौली में लट्टू, बर्फी, इमरती सहित पांच अलग-अलग मिठाइयों से भरा जाता है. मिट्टी की हाट के बिना करौली में लक्ष्मी पूजन अधूरा माना जाता है. इन हाटों को बड़ी मेहनत के साथ तैयार किया जाता हैं. दिवाली पर लक्ष्मी पूजन में इस्तेमाल होने के कारण करौली में मिट्टी की हाट की मांग भी जबरदस्त रहती है.

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मिट्टी से बनी यह हाट पांच मिट्टी के कुल्लडों का मेल है. जिसमें नीचे के चार मिट्टी के कुल्लड़ आपस में जॉइंट रहते हैं. और पांचवां कुल्लड़ के इन नीचे के चार कुल्लडों के ऊपर रखा जाता है. मिट्टी और गोबर से बनी इस खास हाट को शुद्ध रंगों और एक खास देसी चित्रकारी से यहां के कुंभकार परिवार सजाते हैं.

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करौली में दिवाली पर घर-घर भरी जाती है मिट्टी की हाट, जानें इससे जुड़ी मान्यताएं

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