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कलियुग का वैकुंठ वास है द्वारका तिरुमाला मंदिर, घोर तपस्या के बाद स्वयं प्रकट हुए थे भगवान वेंकटेश्वर

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वैसे तो भारत में कई ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो अपनी अभूतपूर्व वास्तुकला और रहस्यों के लिए काफी प्रसिद्ध है लेकिन आंध्र प्रदेश के द्वारका तिरुमला मंदिर की खास बात है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और हर कार्य में सफलता मिलती है. आइए जानते हैं कलियुग के वैकुंठ वास द्वारका तिरुमला मंदिर के बारे में खास बातें…

दक्षिण भारत के ज्यादातर मंदिर भगवान मुरुगन और भगवान विष्णु को समर्पित हैं. साथ ही भगवान शिव और पार्वती के भी समर्पित मंदिर हैं, लेकिन सबसे ज्यादा भगवान मुरुगन और भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है. आंध्र प्रदेश में ऐसा ही मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है और मंदिर की वास्तुकला और एरिया बहुत उत्कृष्ट हैं. इस मंदिर में कई रहस्य और चमत्कार देखने को मिलते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और ईश्वर की कृपा भी बनी रहती है. आइए जानते हैं द्वारका तिरुमला मंदिर के बारे में खास बातें…

एक पहाड़ी पर स्थित है यह पवित्र मंदिर
द्वारका तिरुमला मंदिर आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले में एलुरु के पास एक पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर तक जाने की बहुत सारी सुविधाएं हैं. मंदिर के पास रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों मौजूद हैं. एलुरु शहर से 42 किलोमीटर पर रेलवे जंक्शन है. अगर आप भीमाडोले की तरफ से आते हैं तो 15 किलोमीटर पर ही रेलवे जंक्शन मौजूद है. मंदिर पहाड़ी पर बसा है तो भक्त सीढ़ियों के जरिए मंदिर तक पहुंचते हैं. यह मंदिर भक्तों की आध्यात्मिक शांति का केंद्र है. भक्तों का मानना है कि भगवान विष्णु के दर्शन के बाद मन शांत हो जाता है और आध्यात्मिक शांति मिलती है.

स्वयंभू भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा
अगर मंदिर की स्थापना की बात करें तो माना जाता है कि महान ऋषि द्वारका ने चींटियों के टीले पर बैठकर सालों तक भगवान विष्णु की पूजा की थी और तब वहां स्वयंभू भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा प्रकट हुई थी. प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 11वीं शताब्दी में म्यावलवरम जमींदारों ने मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर भक्तों को दर्शन देते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. भक्तों के बीच श्री वेंकटेश्वर को कलियुग वैकुंठ वास के नाम से भी जाना जाता है.

मंदिर में भक्तों के लिए अलग-अलग सेवाएं
द्वारका तिरुमला मंदिर बहुत बड़े एरिए में बना है और वहां भगवान विष्णु को प्रिय सभी चीजें रखी जाती हैं. मंदिर में आपको बाग-बगीचे, गौवंश की प्रतिमा और भगवान विष्णु के बाल रूप भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा भी देखने को मिल जाएगी. मंदिर में भक्तों के लिए अलग-अलग सेवाएं भी रखी गई हैं, जिनका शुल्क भी निर्धारित है, जिसमें डेली सुबह की पूजा में सुप्रभात सेवा, अस्तोत्तारा सतानामार्चना, और नित्या अर्जिता कल्याणम शामिल है. सुप्रभात सेवा और अस्तोत्तारा सतानामार्चना सेवा करने के लिए भक्तों को 300 रुपए का भुगतान करना होगा, जबकि नित्या अर्जिता कल्याणम करने के लिए भक्तों को 2000 रुपए देने होंगे.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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कलियुग का वैकुंठ वास है द्वारका तिरुमाला मंदिर, स्वयं प्रकट हुए थे वेंकटेश्वर

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