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काल से भी ज्यादा खतरनाक पितृ दोष…छीन लेगा खुशियां, उदासी में डूब जाएगा हंसता-खेलता परिवार, इस ट्रिक से पाएं मुक्ति


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Pitru dosh puja : पितृ दोष के कारण कई रुकावटें आती हैं. सफलता देर से मिलती है. पारिवारिक कलह बनी रहती है. विवाह या संतान प्राप्ति में बाधाएं आती हैं. ज्योतिष शास्त्र में इनसे निपटने के कई रास्ते बताए गए हैं.

ऋषिकेश. ज्योतिष शास्त्र और पुराणों में पितृ दोष का विशेष महत्त्व बताया गया है. पितृ दोष तब होता है जब पूर्वजों की आत्मा किसी कारणवश असंतुष्ट रहती है या उनके अधूरे कर्मों का ऋण संतान पर आता है. ज्योतिष में इसे एक गंभीर दोष माना गया है. इसके प्रभाव से परिवार में बाधाएं, संतान सुख में कमी, आर्थिक संकट और कई प्रकार की अनहोनी घटनाएं देखने को मिलती हैं. पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए पितृ पक्ष का समय सबसे उत्तम माना जाता है. यह अवधि पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित होती है. इस दौरान किए गए मंत्र जाप और धार्मिक उपायों से न केवल पितृ दोष शांत होता है, बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है.

Bharat.one के साथ बातचीत में पुजारी शुभम तिवारी बताते हैं कि पितृ दोष के कारण जीवन में कई प्रकार की रुकावटें आती हैं. अक्सर देखा गया है कि जिनकी कुण्डली में पितृ दोष होता है, उन्हें कार्यों में सफलता देर से मिलती है, पारिवारिक कलह बनी रहती है और विवाह या संतान प्राप्ति में बाधाएं आती हैं. ऐसे में पितृ पक्ष के दिनों में विशेष रूप से तर्पण, पिंड दान और मंत्र जाप करने की परंपरा है.

मुक्ति के उपाय

पितृ दोष शांति के लिए सबसे पहला उपाय षोडश पिंड दान माना जाता है. इसे पवित्र नदी के तट पर करना चाहिए. सर्प पूजा का भी विशेष महत्त्व है, क्योंकि कई बार पितृ दोष कालसर्प दोष से भी जुड़ा होता है. शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि ब्राह्मण को गौ दान, अन्न दान और वस्त्र दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. मंदिर परिसर में पीपल या बरगद का वृक्ष लगाना भी शुभ फल देता है, क्योंकि इन वृक्षों में पितरों का वास माना गया है. पितृ पक्ष में हर दिन अपने पितरों के नाम से तर्पण करना चाहिए. इसके लिए जल में जौ, काले तिल और पुष्प डालकर पितरों को अर्पित किया जाता है. यह क्रिया पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करती है. घर में प्रतिदिन दीपक जलाकर “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना भी लाभकारी है.

ॐ श्री पितृभ्यो नमः

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय पितृभ्यः स्वधा नमः

ॐ पितृदेवताभ्यो नमः

इन मंत्रों का श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रतिदिन जाप करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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