Tuesday, October 7, 2025
27 C
Surat

कुल्लू में एक-दो नहीं बल्कि 40 दिनों तक चलता है होली का उत्सव… बेहद खास है इस परंपरा के पीछे का रहस्य!


Agency:Bharat.one Himachal Pradesh

Last Updated:

Holi Tradition In Kullu: कुल्लू में होली का त्योहार 40 दिनों तक मनाया जाता है, जो भगवान रघुनाथ के सम्मान में विशेष रूप से वैरागी समुदाय द्वारा आयोजित किया जाता है. इस दौरान पारंपरिक होली गीतों का गायन और रंगों …और पढ़ें

X

होली

होली गाते वैरागी समुदाय के लोग

हाइलाइट्स

  • कुल्लू में 40 दिनों तक होली का उत्सव मनाया जाता है.
  • वैरागी समुदाय भगवान रघुनाथ के दरबार में होली गाते हैं.
  • पारंपरिक गीत और वाद्य यंत्रों के साथ होली मनाई जाती है.

कुल्लू. रघुनाथ की नगरी कुल्लू में सभी त्योहार अलग ही अंदाज में मनाए जाते हैं. देशभर से अलग यहां मनाए जाने वाले त्योहार की मान्यता भगवान रघुनाथ के कुल्लू आगमन से जुड़ी हुई है. ऐसे में यहां भगवान रघुनाथ के सम्मान में त्योहारों को अलग ही मान्यताओं के साथ मनाया जाता है. कुल्लू में होली का उत्सव 40 दिनों तक मनाया जाता है. ऐसे में यहां विशेष होली खेलने की प्रथा है. कुल्लू में बसंत के दिन से ही होली का आगाज हो जाता है. लेकिन यह होली सिर्फ वैरागी समुदाय द्वारा भगवान रघुनाथ के दरबार में ही खेली जाती है.

40 दिन होली में क्या रहता है विशेष
कुल्लू में 40 दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है. ऐसे में यहां वैरागी समुदाय के लोग बसंत के दिन भगवान रघुनाथ के दरबार में पहली होली गाते हैं. भगवान के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह और अन्य पुजारियों द्वारा भगवान रघुनाथ के चरणों में पहला गुलाल अर्पित किया जाता है. साथ ही भगवान के चरणों में अर्पित इस गुलाल को सभी श्रद्धालुओं और वैरागी समुदाय के लोगों और बजंतरियों पर डाला जाता है. इसे खुशहाली और शुभ का प्रतिक माना जाता है.

गाए जाते है पारंपरिक गीत
वैरागी समुदाय के लोगों के द्वारा यहां पारंपरिक होली के गीतों को गाया जाता है. पारंपरिक वाद्य यंत्रों डफ और छंछाला की धुन के साथ ही इन विशेष गीतों को गाया जाता है. यह गीत कुल्लू में इन्हीं होली के 40 दिनों तक गाए जाते हैं. ऐसे में फाग जलने के बाद होली के गीत भी नहीं गाए जाते हैं. न ही रंगों से खेला जाता है. इन 40 दिनों तक हर दिन रघुनाथ जी के दरबार में जाकर होली गाई जाती है. ऐसे में वैरागी समुदाय के लोग इन दिनों अपने-अपने घरों में भी होली संध्याओं का आयोजन करते हैं. इस दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ ही इन पारम्परिक गीतों को गाया जाता है.

homedharm

यहां 1,2 नहीं, 40 दिनों तक चलता है होली का उत्सव; खास है इसके पीछे का रहस्य!

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img