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कैलाश से कम नहीं झारखंड का ये शिव मंदिर, मां गंगा के साथ विराजमान हैं महादेव, जानें लोकेशन

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Agency:Bharat.one Jharkhand

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Baba Khonharnath Mandir: झारखंड के खोनहर नाथ मंदिर को भगवान भोलेनाथ का एक महत्वपूर्ण धाम माना जाता है, जिसे कैलाश, मानसरोवर और केदारनाथ के बाद एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में पूजा जाता है. यहां भगवान शिव का शिव…और पढ़ें

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खोनहर नाथ मंदिर

हाइलाइट्स

  • खोनहर नाथ मंदिर झारखंड का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
  • भगवान भोलेनाथ का प्राकृतिक शिवलिंग यहां स्थित है।
  • शिवरात्रि पर मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता है।

गढ़वा. जहां आस्था की बात होती है, वहां पौराणिक मान्यताएं और कथाएं उभर कर सामने आती हैं. झारखंड में आस्था के कई केंद्र हैं, जिनमें से एक बेहद खास है. पलामू और गढ़वा के बॉर्डर के पास खोनहर गांव में स्थित खोनहर नाथ मंदिर आस्था और मान्यता का प्रमुख केंद्र है. यहां शिवरात्रि के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन होता है.

गढ़वा जिले के खोनहर गांव में स्थित खोनहर नाथ मंदिर हजारों वर्ष पुराना है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां भगवान भोलेनाथ प्राकृतिक रूप में विराजमान हैं, जिनका अर्घ्य पूर्वाभिमुख है. इस कारण इस मंदिर की महिमा मानसरोवर, कैलाश और अमरनाथ जितनी बढ़ जाती है.

विश्व का चौथा दुर्लभ ज्योतिर्लिंगपुजारी संतोष कुमार तिवारी ने लोकल18 को बताया कि यह मंदिर 5000 से भी अधिक वर्ष पुराना है. कभी घने जंगल के बीच बाबा विराजमान थे, मगर अब यह स्थल एक पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है. उन्होंने कहा कि बाहर से आए साधु महात्माओं ने इसे चौथा दुर्लभ ज्योर्तिलिंग बताया है. जैसे बाबा भोलेनाथ मानसरोवर, कैलाश और अमरनाथ में विराजमान हैं, वैसे ही यहां भी भगवान भोलेनाथ का अर्घ्य पूर्वाभिमुख है, जो कि पूरे विश्व में केवल यहां मौजूद है. इस कारण यह स्थल खोनहरनाथ के नाम से जाना जाता है.

मां गंगा के साथ विराजमान हैं भोलेनाथ
उन्होंने आगे कहा कि भगवान भोलेनाथ का मर्म देवता भी नहीं जानते, तो हम तो इंसान हैं. लेकिन यहां भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग पत्थर से सटा है, जहां मां गंगा भी साथ में विराजमान रहती हैं. यहां पूजा करने दिल्ली, कानपुर, लखनऊ और दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

शिवरात्रि में दो दिनों तक लगता है मेला
उन्होंने बताया कि शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन होता है, जहां हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है. यह मेला नहाए खास से लेकर पूजा के दिन तक चलता है. इस दौरान नजारा बेहद खास होता है.

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कैलाश से कम नहीं झारखंड का ये शिव मंदिर, मां गंगा के साथ विराजमान हैं महादेव

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