श्रीहरि के अनेक नामों में से एक विठ्ठल भी है.यह नाम महाराष्ट्र और कर्नाटक में सुनाई देता है
Vitthal form of Lord Vishnu : हिन्दू धर्म में त्रिदेवों की भूमिका बहुत खास है और इनमें बात करें भगवान विष्णु की तो उन्होंने धरती और धर्म की रक्षा के लिए 10 अवतार लिए. इन अवतारों को दशावतार कहा जाता है और आप इनमें कई अवतारों के बारे में जानते भी होंगे. आपने श्रीहरि के अनेक नामों में से एक विठ्ठल भी सुना होगा. खास तौर पर यह नाम महाराष्ट्र और कर्नाटक में सुनाई देता है, जहां लोग बड़े ही प्रेम और भक्ति के साथ यह नाम लेते हैं. इन क्षेत्रों में विठ्ठल नाम से कई मंदिर हैं और भक्त पूरी श्रृद्वा और समर्पण भाव से भगवान विठ्ठल की पूजा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं विष्णु जी का यह नाम कैसे पड़ा? इसके पीछे क्या है कथा? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से.
भगवान विठ्ठल की कथा
एक पौराणिक कथा में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कैसे भगवान विष्णु का नाम विठ्ठल पड़ा. कथा के अनुसार, एक बार की बात है जब भगवान विष्णु से देवी रुक्मिणी किसी बात को लेकर नाराज हो गईं. वे जब द्वारका से चली गईं तो श्रीहरि उन्हें ढ़ढते हुए दिंडीवन पहुंचे और यहां उन्हें देवी रुक्मिणी मिल गईं. उसी समय वहां एक आश्रम में भगवान विष्णु का भक्त रहता था, जिसका नाम था पुंडलिक.
पुंडलिक भगवान विष्णु की खूब भक्ति करता था और साथ में अपने माता-पिता की सेवा भी करता था. ऐसे में भगवान विष्णु अपने भक्त से मिलने उसी समय देवी रुक्मिणी के साथ उनके आश्रम में पहुंचे. लेकिन तब पुंडलिक अपने माता-पिता की सेवा में व्यस्त था और ऐसे में जब श्रीहरि ने पुंडलिक से मिलने की बात कही तो भक्त ने भगवान को थोड़ा इंतजार करने को कहा.
कथा के अनुसार, पुंडलिक ने भगवान विष्णु को एक ईंट फेंककर कहा कि वह उस पर खड़े रहें और इंतजार करें. जिसके बाद भगवान ने अपने भक्त की बात मानी और ईंट पर खड़े होकर भक्त की प्रतीक्षा की और जब पुंडलिक उनके पास आया तो उससे वरदान मांगने को कहा.
पुंडलिक ने भगवान से सिर्फ छोटा सा निवेदन किया कि रुक जाएं और अपने भक्त की इस श्रद्धा को देख श्रीहरि उसी ईंट पर खड़े होकर, कमर पर हाथ रखकर, प्रसन्न मुद्रा में खड़े हो गए. कहा जाता है कि यह मुद्रा ही विठ्ठल अवतार कहलाई और भगवान विष्णु का नाम ‘विठ्ठल’ पड़ गया.
FIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 13:47 IST