श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर हैं, जो माता को समर्पित हैं और जिन्हें सिद्धपीठों में गिना जाता है. ऐसा ही एक अद्भुत मंदिर श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है, जो माता को समर्पित है. यहां भक्त गढ़वाल क्षेत्र के दूर-दराज के स्थानों से आते हैं. खासतौर पर नवरात्रि के अवसर पर माता के मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखी जाती है. श्रीनगर के भक्तियाना में स्थित मां बंगलामुखी का मंदिर ऐसा ही एक पवित्र स्थल है, जहां वर्षभर दर्शन और मन्नत मांगने वाले भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
पूजा-अर्चना करने से कोर्ट-कचहरी और विवादों से मुक्ति
मान्यता है कि मां बंगलामुखी के दर्शन मात्र से ही सभी बिगड़े हुए काम संवर जाते हैं. साथ ही, अगर किसी व्यक्ति को कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ रहे हों या किसी के साथ विवाद हो गया हो, तो यहां पूजा-अर्चना करने से सभी मामलों का निपटारा हो जाता है. भक्त यहां दूर-दराज के क्षेत्रों से दर्शन के लिए आते हैं. जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है, वे दोबारा दर्शन के लिए आते हैं और माता के मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं.
गढ़वाल क्षेत्र में एकमात्र बंगलामुखी मंदिर
यहां केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. कहा जाता है कि बंगलामुखी का गढ़वाल क्षेत्र में एकमात्र मंदिर श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है. हालांकि, मां बंगलामुखी मूल रूप से मध्य प्रदेश के लोगों की कुलदेवी मानी जाती हैं. बाद में मध्य प्रदेश के एक संत द्वारा श्रीनगर में बगलामुखी का मंदिर स्थापित किया गया. तब से यह मंदिर पूरे गढ़वाल क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गया है.
गढ़वाल राजवंश के कुलपुरोहित करते हैं पूजा
मंदिर की देख-रेख और पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी गढ़वाल राजा के कुलपुरोहित, उनियाल लोगों को सौंपी गई. तब से गढ़वाल राजवंश के कुलपुरोहित ही मां बगलामुखी की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. चारधाम यात्रा के दौरान मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. क्योंकि यह गढ़वाल क्षेत्र में मां बंगलामुखी का एकमात्र मंदिर है, और यह एक सिद्धपीठ है. इसी कारण मां बंगलामुखी में आस्था रखने वाले भक्तों का यहां हुजूम बना रहता है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 17:11 IST
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