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कौन हैं वो महिलाएं जो कर रही प्रेमानंद का विरोध? तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरीं, गुस्से में खोया आपा


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वृंदावन की एनआरआई ग्रीन कॉलोनी की महिलाओं ने संत प्रेमानंद महाराज की रात की पदयात्रा के खिलाफ विरोध किया. आइए जानते हैं वजह…

कौन हैं वो महिलाएं जो कर रही प्रेमानंद का विरोध? तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरीं

प्रेमानंद के खिलाफ सड़कों पर उतरीं महिलाएं.

हाइलाइट्स

  • एनआरआई ग्रीन कॉलोनी की महिलाओं ने संत प्रेमानंद की पदयात्रा का विरोध किया.
  • महिलाओं का कहना है कि पदयात्रा से उनकी नींद पर असर पड़ता है.
  • विरोध के बाद संत प्रेमानंद की रात्रि पदयात्रा स्थगित कर दी गई है.

वृंदावन के एनआरआई ग्रीन कॉलोनी की महिलाओं ने संत प्रेमानंद महाराज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रदर्शन कर रही महिलाएं प्रेमानंद की रात में होने वाली पदयात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. रात 2 बजे संत प्रेमानंद महाराज अपने शिष्यों के साथ श्रीराधाकेलि कुंज आश्रम तक पदयात्रा करते हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए शामिल होते हैं. महिलाओं ने इस पदयात्रा में होने वाले शोरगुल से परेशान होकर यह प्रदर्शन शुरू किया है.  आइए जानते हैं तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरीं महिलाएं क्या कह रही हैं…

एनआरआई ग्रीन कॉलोनी की महिलाओं का कहना है कि रात में होने वाली पदयात्रा में प्रेमानंद के समर्थक पटाखे जलाए जाते हैं और लाउडस्पीकर पर भजन बजाते हैं, जिससे स्थानीय निवासियों को परेशानी होती है. इस शोर के कारण उनकी नींद पर प्रभाव पड़ता है, खासकर बीमार और बुजुर्ग लोगों को काफी परेशानी होती है. कामकाजी महिलाओं की नींद पूरी नहीं हो पाती, जिससे उनके कार्यों पर भी असर पड़ता है. सड़क पर उतरीं महिलाओं ने हाथों में तख्तियां लेकर विरोध जताया, जिस पर लिखा है, “कौन-सी भक्ति, कौन-सा दर्शन… ये तो है केवल शक्ति प्रदर्शन.”

हालांकि, आश्रम की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पदयात्रा के दौरान शोर मचाने वाले श्रद्धालु आश्रम से जुड़े नहीं हैं. आश्रम ने कई बार लाउडस्पीकर और पटाखों के इस्तेमाल को रोकने के लिए अपील भी की है. आश्रम का उद्देश्य किसी को भी परेशान करना नहीं है और वे चाहते हैं कि पदयात्रा के दौरान शांति बनी रहे.

महिलाओं के विरोध के बाद, संत प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा स्थगित कर दी गई है. आश्रम ने एक बयान जारी कर इस निर्णय की जानकारी दी है. इस घटना ने स्थानीय समुदाय और धार्मिक आयोजनों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को उजागर किया है, ताकि श्रद्धालुओं की आस्था और स्थानीय निवासियों की शांति दोनों का सम्मान हो सके.

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