ऋषिकेश: भौम प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है. यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. और जब यह मंगलवार को पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. मंगलवार का दिन मंगल ग्रह से जुड़ा होता है जिसे ऊर्जा, साहस और साहसिकता का प्रतीक माना जाता है. इस व्रत के माध्यम से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और दुख-दर्द का नाश होता है.
भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने Bharat.one को बताया कि इस वर्ष भौम प्रदोष व्रत 15 अक्टूबर यानी आज मनाया जा रहा. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. व्रतधारी को सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा की तैयारी करनी चाहिए. पूजा के दौरान भगवान शिव के समक्ष दीपक जलाकर, बिल्व पत्र, धतूरा, आक के फूल और सफेद चंदन अर्पित करें. शिवलिंग पर जल, दूध और गंगाजल अर्पित करते हुए “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए.
शिवपुराण का पाठ और महाशिवरात्रि की कथा सुनें
इस व्रत में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी की भी पूजा की जाती है. इस दिन शिवपुराण का पाठ और महाशिवरात्रि कथा को सुनना बेहद शुभ माना जाता है. व्रतधारी को दिन भर निराहार रहकर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए. शाम को प्रदोषकाल (सूर्यास्त के बाद के 1.5 घंटे) में भगवान शिव की विशेष आरती कर व्रत का संकल्प लें. इस व्रत से व्यक्ति के सभी कष्ट, रोग और दुख समाप्त होते हैं. और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है.
मंगल की शांति के लिए ये व्रत लाभकारी
मंगल ग्रह की शांति के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है. इस दिन शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा के दौरान शिव जी के 108 नामों का जप करना भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है.
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FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 10:13 IST
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