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मंदिर केवल पूजा की जगह नहीं बल्कि सुकून और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है. महंत की सलाह है कि लौटकर तुरंत नहाएं या पैर न धोएं. थोड़ी देर ध्यान करें भगवान को याद करें जिससे मंदिर की पवित्रता और ऊर्जा आपके मन और जीवन में बनी रहती है.

मंदिर हमारे लिए एक बेहद खास और पवित्र जगह है. यहां लोग भगवान के सामने सिर झुकाने आते हैं मन को ठंडक मिलती है और दिल में सुकून उतर आता है. लोग यहां अपनी खुशहाली और शांति की प्रार्थना करते हैं. आपको यहां एक अलग ही तरह की आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होती है.

महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य कहते हैं जैसे ही मंदिर से लौटो फौरन पैर मत धोना या नहाना मत. इससे मंदिर में मिली पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा कम हो जाती है. सीधा सा मतलब उस ऊर्जा को अपने साथ थोड़ी देर रहने दो.

मंदिर में पूजा-पाठ और आराधना का असर सीधा हमारे शरीर और मन पर पड़ता है. ये जो ऊर्जा मिलती है वो कुछ वक्त तक हमारे आसपास बनी रहती है और हमें राहत संतुलन और अंदर से मजबूती देती है.
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मंदिर से लौटने के बाद थोड़ा वक्त बैठकर भगवान को याद करो. बस, दो पल आंखें बंद कर लो. इससे मन एकदम शांत हो जाता है और पूरे दिन की शुरुआत अच्छी होती है.

शास्त्रों में लिखा है कि मंदिर जाने से पहले हाथ-पैर धोना जरूरी है लेकिन लौटते वक्त ऐसा करने से बचो. इससे पूजा का असर देर तक हमारे साथ रहता है सिर्फ शरीर पर नहीं मन पर भी.

ज्योतिष के जानकार भी यही मानते हैं कि मंदिर से लौटकर तुरंत पानी का इस्तेमाल मत करो. इससे मंदिर की पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और आपको पूरा फायदा मिलता है.

मंदिर से आने के बाद थोड़ी देर पैर न धोना, नहाना या पानी का इस्तेमाल न करना ही अच्छा है. बस थोड़ा वक्त ध्यान में बिताओ, भगवान को याद करो यही असली शांति और सकारात्मकता का रास्ता है.







