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Mauni Amavasya 2025 : सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है. हर माह अमावस्या आती है लेकिन माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का खास महत्व है.

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का महत्व
हाइलाइट्स
- मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का विशेष महत्व है.
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान से शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं.
- ब्रह्म मुहूर्त का समय प्रातः 4 बजे से 5:30 बजे तक होता है.
Mauni Amavasya 2025 : ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का भी कारण बनता है. विशेष रूप से मौनी अमावस्या पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. अगर आप इस समय स्नान करते हैं तो आपके जीवन में शुभता और समृद्धि बढ़ जाती है. इसलिए इस पवित्र समय का सदुपयोग कर अपनी जीवनशैली को और अधिक बेहतर बनाएं. किस समय कौनसा स्नान किया जाता है और इसका क्या महत्व है आइए जानते हैं तीर्थ नगरी सोरों के ज्योतिषाचार्य और वास्तु विशेषज्ञ डॉ गौरव कुमार दीक्षित से.
ब्रह्म मुहूर्त के लाभ
जैसा कि पुराणों में बताया गया है कि ब्रह्म मुहूर्त का समय प्रातः 4 बजे से लेकर 5:30 बजे तक होता है. इस समय यदि व्यक्ति स्नान करता है तो उसे न सिर्फ शारीरिक बल और स्वास्थ्य लाभ होता है, बल्कि मानसिक शांति और सौभाग्य भी मिलता है. कहा जाता है कि इस समय स्नान करने से शरीर में जमा बुरे प्रभाव दूर होते हैं और व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त दोष और रोग दूर होते हैं और आत्मा को शुद्धि मिलती है.
स्नान के प्रकार और उनका महत्व
1. ब्रह्म स्नान: यह स्नान सुबह 4 बजे से 5 बजे के बीच किया जाता है. इस समय स्नान करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि और सुख प्राप्त होता है. ‘ओम नमः शिवाय’ या ‘ओम नमो नारायण’ जैसे मंत्रों का जाप करते हुए स्नान करने से विशेष लाभ होता है.
2. देव स्नान: सूर्योदय के साथ स्नान करना देव स्नान कहलाता है. इस समय का स्नान विशेष रूप से पवित्र माना जाता है. यदि इस समय ‘गायत्री मंत्र’ या पवित्र नदियों के नाम का जाप किया जाए तो यह जीवन के सारे कष्टों को दूर करता है.
3. यौगिक स्नान: जब व्यक्ति अपने इष्ट देवता का ध्यान करके स्नान करता है, तो उसे यौगिक स्नान कहा जाता है. यह स्नान व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर करता है.
4. दानव स्नान: सुबह 10 बजे और भोजन के बाद स्नान करने को दानव स्नान कहा जाता है. यह स्नान सेहत और मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, इसलिए इसे अवॉयड करना चाहिए.
शास्त्रों में स्नान का महत्व
स्नान के दौरान एक महत्वपूर्ण बात यह है कि स्नान करते समय पानी पहले सिर पर डालना चाहिए, फिर शरीर पर. ऐसा करने से शरीर की गर्मी बाहर निकलती है और यह शरीर और मन दोनों को शांति प्रदान करता है. शास्त्रों में स्नान का सही तरीका इस प्रकार बताया गया है कि पैरों से स्नान करने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए इसे बचना चाहिए.
किसे नहीं लगेगा पाप
अगर कोई व्यक्ति बीमार है, शारीरिक रूप से अक्षम है या कोई महिला गर्भवती है तो उन्हें अमावस्या या ब्रह्म मुहूर्त में स्नान नहीं करने पर किसी तरह का पाप नहीं लगता. ऐसे लोगों के लिए शिखा स्नान का महत्व बताया गया है. उसके लिए तुलसी के पौधे की मिट्टी को अपनी शिखा पर लगाएं. इस स्नान से पवित्र नदी में स्नान जितना पुण्य प्राप्त होता है.
January 29, 2025, 05:31 IST
क्या मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ज्यादा फलदायी है?