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क्या है हर की पौड़ी का रहस्य, राजा विक्रमादित्य से क्यों है कनेक्शन, जानें सबकुछ


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हिंदू धर्म में जिनके नाम से समय की गणना होती है उनका विश्व प्रसिद्ध हरिद्वार हर की पौड़ी से प्राचीन इतिहास जुड़ा हुआ है. हरिद्वार जहां हर 12 साल बाद कुंभ का आयोजन एक बड़े स्तर पर होता है और हर साल लाखों करोड़ों…और पढ़ें

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हरिद्वार

हरिद्वार से जुड़ा है राजा विक्रमादित्य का इतिहास 

हाइलाइट्स

  • हर की पौड़ी का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने कराया था.
  • हरिद्वार में हर 12 साल बाद कुंभ का आयोजन होता है.
  • हर की पौड़ी का निर्माण राजा भर्तृहरि की स्मृति में हुआ था.

हरिद्वार. हिंदू धर्म में अनेक तीर्थों का वर्णन किया गया है जहां धार्मिक अनुष्ठान या धार्मिक कार्य करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में हरिद्वार का विशेष और पौराणिक महत्व है. यहां प्राचीन और पौराणिक स्थल हैं जहां धार्मिक अनुष्ठान करने पर लाभ होता है. हिंदू धर्म में जिनके नाम से समय की गणना होती है उनका विश्व प्रसिद्ध हरिद्वार हर की पौड़ी से प्राचीन इतिहास जुड़ा हुआ है. हरिद्वार जहां हर 12 साल बाद कुंभ का आयोजन एक बड़े स्तर पर होता है और हर साल लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु धार्मिक कार्य करने के लिए हरिद्वार आते हैं.

हरिद्वार हर की पौड़ी से जुड़े महत्व की जानकारी देते हुए उत्तराखंड के हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री ने कहा कि हिंदू धर्म में राजा विक्रमादित्य और हिंदू धर्म का गहरा महत्व है. हिंदू धर्म में समय की गणना संवत से की जाती है जो धार्मिक, सांस्कृतिक और ग्रहों की चाल को बताता हैं. 57 ईसा पूर्व संवत की शुरुआत हिंदू धर्म के प्रतीक राजा विक्रमादित्य ने की थी. ऐसे ही हरिद्वार में हर की पौड़ी का निर्माण भी उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने ही कराया था. उन्होंने हर की पौड़ी का निर्माण अपने बड़े भाई राजा भर्तृहरि की स्मृति के रूप में कराया था.

भर्तृहरि महान विद्वान और तपस्वी राजा थे जिन्होंने प्राचीन समय में हरिद्वार की शिवालिक पहाड़ियों पर कई साल तक तपस्या की थी. उनकी स्मृति के रूप में राजा विक्रमादित्य ने हरिद्वार में भर्तृहरि की पैड़ी का निर्माण कराया था. जो हर की पौड़ी के नाम से विश्व प्रसिद्ध है. जप तप और धार्मिक कार्य करने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा ना हो इसके लिए राजा विक्रमादित्य ने पैड़ीयों का निर्माण कराया था. हिंदू धर्म में विक्रम संवत से समय की गणना की जाती है जो 57 ईसा पूर्व राजा विक्रमादित्य ने स्थापित किया था. हिंदू धर्म में वैदिक पंचांग और अन्य बहुत से धार्मिक ग्रंथ है जिनका आधार विक्रम संवत है.

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क्या है हर की पौड़ी का रहस्य, राजा विक्रमादित्य से क्यों है कनेक्शन

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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