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क्यों 786 को माना जाता है इतना पवित्र? इस्लाम धर्म में क्या है इसके पीछे का रहस्य? भारत में क्या है इसके मायने?


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786 is Holy Number For Muslims : 786 को इस्लाम धर्म में पवित्र और शुभ माना जाता है और इसका उपयोग अल्लाह के नाम की पूजा के संदर्भ में किया जाता है. हालांकि, इस अंक को लेकर अलग-अलग मत और राय मौजूद हैं और कई धार्म…और पढ़ें

क्यों 786 को माना जाता है इतना पवित्र? क्या है इसके पीछे का रहस्य?

क्या है 786 के पीछे का रहस्य?

हाइलाइट्स

  • 786 को इस्लाम में पवित्र माना जाता है.
  • बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम का संक्षेप है 786.
  • भारत में 786 का धार्मिक महत्व है.

786 is Holy Number For Muslims : इस्लाम धर्म में अंक 786 का विशेष महत्व है. मुस्लिम समुदाय के बीच इसे एक पवित्र और शुभ संख्या माना जाता है और कई लोग इस अंक का उपयोग अल्लाह के नाम के स्थान पर करते हैं. लेकिन, यह अंक वास्तव में कैसे पवित्र हुआ और क्यों इसे इस्लाम में इतना सम्मान दिया जाता है, यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है. इस आर्टिकल में हम 786 के महत्व और इसके पीछे छिपे कारणों को समझने की कोशिश करेंगे. इस अंक का उपयोग एक दयालु और रहमदिल अल्लाह के नाम का सम्मान करने के लिए किया जाता है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र है.

786 का मतलब और उसकी पवित्रता
इसे समझने के लिए हमें पहले इस्लामिक शब्दों की ओर देखना होगा. मुस्लिमों द्वारा प्रयुक्त ‘बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम’ एक महत्वपूर्ण वाक्य है, जिसका अर्थ है “अल्लाह के नाम से, जो सबसे दयालु और सबसे रहमदिल है.” इस वाक्य के कुल अरबी अक्षरों की संख्या 786 होती है. इस प्रकार, यह संख्या 786 अल्लाह के नाम का प्रतीक बन गई. इसलिए, कई मुस्लिम लोग इस वाक्य को संक्षेप में 786 के रूप में इस्तेमाल करते हैं. यह संख्या इस्लाम में शुभ मानी जाती है और विशेष अवसरों, जैसे शादी के निमंत्रण कार्ड, धार्मिक आयोजन और अन्य शुभ अवसरों पर इसे लिखा जाता है.

अलग-अलग विचार और राय
हालांकि, इस अंक को लेकर इस्लाम के विद्वानों के बीच मतभेद हैं. कुछ इस अंक के उपयोग को सही मानते हैं, जबकि अन्य इसे सुन्नत के खिलाफ मानते हैं. उदाहरण के लिए, भारत के एक प्रमुख इस्लामिक विद्वान ए.एम. कासमी ने अपने यूट्यूब चैनल पर 786 के बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए कहा कि बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम के स्थान पर 786 का उपयोग करना उचित नहीं है. उनके अनुसार, यह अंक अल्लाह के वास्तविक नाम का सही सम्मान नहीं करता है. उन्होंने यह भी कहा कि 786 का बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम से कोई सीधा संबंध नहीं है, और इसे केवल एक सांस्कृतिक या स्थानीय प्रथा माना जाना चाहिए.

वहीं, पाकिस्तान के मुफ्ती तारीक मसूद का मानना है कि 786 का उपयोग गुनाह नहीं है, लेकिन यह सुन्नत के खिलाफ है. उनका कहना है कि जब हम अल्लाह का नाम लेते हैं तो हमें पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ उस नाम का उच्चारण करना चाहिए, न कि संक्षेप में. उनके अनुसार, 786 का इस्तेमाल केवल एक आदत बन गई है और इसे कंजूसी के कारण किया जाता है, जबकि पूरी इज़्जत के साथ अल्लाह के नाम का उच्चारण करना चाहिए.

भारत में 786 का धार्मिक महत्व
भारत में 786 को एक पवित्र और शुभ अंक के रूप में देखा जाता है. यहां के मुसलमानों के लिए यह अंक किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले खास महत्व रखता है. इसे बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम का प्रतीक माना जाता है और इसकी उपस्थिति धार्मिक आयोजनों, दस्तावेजों और यहां तक कि व्यक्तिगत पत्रों में भी देखी जाती है. कुछ लोग तो इस अंक को अपने घरों और दुकानों पर भी लिखते हैं, ताकि उन्हें अल्लाह की दया और कृपा मिले.

इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व समय के साथ बढ़ा है. यह अंक इस्लाम धर्म में एक तरह से आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गया है. भारतीय मुस्लिम समुदाय में 786 का प्रयोग विशेष रूप से धार्मिक आयोजनों और खुशियों के अवसरों पर देखने को मिलता है, क्योंकि इसे शुभ और पवित्र माना जाता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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