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खरमास में क्यों नहीं खानी चाहिए राई और उड़द की दाल? सेहत होगी खराब, साथ में लगेगा पाप, जानें मान्यता


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Kharmas 2025: जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की शुरुआत होती है. एक माह तक धनु राशि में रहने के बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास का समापन होता है. खरमास के दौरान कई ऐसे कार्य हैं, जिन्हे नहीं करना चाहिए. उज्जैन के आचार्य से जानिए…

Kharmas Upay: खरमास में भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशियां आती हैं. लेकिन, इस दौरान कई ऐसे नियम हैं, जिनका पालन बेहद जरूरी माना गया है. खरमास में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. सूर्य का बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करने पर मलमास या खरमास लगता है. इस दौरान खान-पान का भी विशेष महत्व है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि खरमान में किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने पर पाप लगता है.

क्यों लगता है खरमास?
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, खरमास के समय सूर्य देव धनु अथवा मीन राशि में स्थित होते हैं. इस कालखंड में सूर्य की तेजस्वी ऊर्जा कुछ मंद मानी जाती है. चूंकि, सूर्य को नवग्रहों का अधिपति और आत्मबल का प्रमुख कारक माना गया है, इसलिए उनकी पूर्ण कृपा के अभाव में किए गए मांगलिक कार्य अपेक्षित सफलता प्रदान नहीं कर पाते. इतना ही नहीं, इस अवधि में देवगुरु बृहस्पति भी अपनी संपूर्ण शुभ शक्ति का प्रभाव नहीं दिखा पाते, जिसके कारण शुभ आयोजनों का फल अधूरा या कमजोर रह सकता है.

क्यों बदलते हैं खानपान के नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास का प्रभाव केवल शुभ कार्यों पर ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन और खानपान पर भी पड़ता है. मान्यता है कि इस दौरान सादा, हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए. इस दौरान मूंग की दाल, चना, जौ, बाजरा, दूध, फल और हरी सब्जियां सुपाच्य मानी जाती हैं. हल्का भोजन शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखने में सहायक होता है. आयुर्वेद की मानें तो उड़द की दाल भारी, तासीर में गर्म और देर से पचने वाली होती है. मलमास के दौरान पाचन शक्ति कमजोर मानी जाती है, ऐसे में उड़द का सेवन गैस, अपच और पेट दर्द जैसी समस्याएं बढ़ा सकता है.

मलमास में क्यों नहीं किया जाता राई का सेवन?
मलमास के दौरान राई के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है. इसके पीछे मान्यता के साथ आयुर्वेदिक कारण भी है. राई की प्रकृति अत्यधिक गर्म मानी जाती है, जिससे शरीर में उष्णता बढ़ सकती है और पित्त दोष सक्रिय हो सकता है. जब मलमास के समय शरीर को ठंडक देने वाले और संतुलित आहार की जरूरत होती है, तब राई जैसे उष्ण तत्वों का सेवन अनुकूल नहीं माना जाता. यही कारण है कि इस अवधि में राई से परहेज करने को उचित समझा जाता है.

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Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

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खरमास में क्यों नहीं खानी चाहिए राई और उड़द दाल? सेहत होगी खराब, लगेगा पाप

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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