मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में दक्षिणमुखी गणेश भगवान का प्राचीन मंदिर है. मान्यता है कि यहां पर आने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. धाम में स्थित भगवान गणेश की प्रतिमा की गहराई का पता नहीं चल सका है. जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर रामपुर गांव में स्थित करीब 20 फीट तक खुदाई के बाद भी जब अंतिम छोर नहीं मिल सका तो वहीं, पर मंदिर का निर्माण करा दिया गया. धाम में दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं. बुधवार को यहां पर भारी संख्या में भक्त पहुंचकर लड्डू, नारियल, दूब इत्यादि चढ़ाकर दर्शन पूजन करते हैं.
पंडित बसंत मिश्रा ने Bharat.one से बातचीत में बताया कि भगवान गणेश का विग्रह काफी प्राचीन है. 1960 में भयंकर सूखे में प्रतिमा को देखा गया था. यहां पर पहले पोखरा हुआ करता था. सूखे में जब पानी खत्म हो गया, तो विग्रह सामने आया. विग्रह सामने आने के बाद ग्रामीणों के द्वारा पूजा शुरू किया गया. हाटा निवासी भागीरथी चौधरी रामपुर में ससुराल में रहते थे. वह भगवान गणेश के अनन्य भक्त थे. कालीन बुनकर जीवकोपार्जन करते थे. भगवान की ऐसी कृपा हुई कि भागीरथी चौधरी दिल्ली चले गए और उनकी किस्मत बदल गई.
भागीरथी चौधरी ने कराया मंदिर का निर्माण
बताया कि 2004 में भागीरथी चौधरी के द्वारा ही मंदिर का निर्माण कराया गया. ग्रामीणों की इच्छा थी कि विग्रह को निकालकर दूसरी जगह स्थापित किया जाए. करीब 20 फीट तक खोदाई की गई, लेकिन अंतिम छोर का पता नहीं चल सका. ततपश्चात ग्रामीणों ने भय की वजह से वहीं पर मंदिर का निर्माण करा दिया. बुधवार को यहां पर भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है. दक्षिणमुखी होने की वजह से भगवान गणेश की विशेष मान्यता है.
भक्तों की पूर्ण हो जाती है हर मनोकामना
नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि चुनार से आए हुए हैं. यहां दक्षिणमुखी गणेश भगवान भक्तों का कल्याण कर रहे हैं. यह काफी प्राचीन मंदिर है. यहां पर आने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. गणेश मंदिर को लेकर जो भी मान्यता है. धाम में आने के बाद महसूस हो रहा है. कहा कि ऐसा मंदिर शहर में होता तो भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाता. दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 07:28 IST
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