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Shradh 2025: यह तीर्थ पिंडदान और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है. यहां मान्यता है कि भगवान श्रीराम से जुड़ी पवित्रता के कारण, पिंडदान करने से वही लाभ मिलता है जो अन्य प्रमुख तीर्थस्थलों पर मिलता है. सरोवर का जल अत्यंत पवित्र माना जाता है और यहां की पूजा-अर्चना से मनोकामना पूर्ण होने के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. पितृपक्ष के दौरान देशभर से श्रद्धालु यहां पिंडदान करने आते हैं और विशेष पूजा विधियों में भाग लेते हैं.

अगर आप भी पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए बिहार के गया में पिंडदान करने की सोच रहे हैं, लेकिन किसी कारण जा नहीं पा रहे हैं, तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है. ऐसे सभी लोग मेरठ के गगोल तीर्थ में भी पिंडदान कर सकते हैं. यह जानकारी Bharat.one से खास बातचीत करते हुए गगोल तीर्थ की साध्वी मधुदास ने दी. उन्होंने बताया कि गगोल तीर्थ भी प्रमुख तीर्थ स्थानों में विशेष स्थान रखता है.

साध्वी मधुदास बताती हैं कि गगोल तीर्थ महर्षि विश्वामित्र के नाम से जाना जाता है. इसलिए यहां पर ऋषि मुनियों द्वारा विभिन्न प्रकार के यज्ञ किए जाते थे, लेकिन यह क्षेत्र रावण के ससुर मय से जुड़ा हुआ था. इस वजह से यहां पर राक्षस प्रजाति के लोग यज्ञ को भंग किया करते थे, जिससे ऋषि मुनि काफी परेशान रहते थे.

इन्हीं बातों को देखते हुए महर्षि विश्वामित्र महाराजा दशरथ से अयोध्या में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को लेने के लिए पहुंचे थे. इसके पश्चात भगवान श्रीराम और लक्ष्मण दोनों ही मेरठ के गगोल तीर्थ आए थे. जब यहां ऋषि यज्ञ कर रहे थे, तब राक्षस उन्हें परेशान कर रहे थे. ऐसे में महर्षि विश्वामित्र के आदेश अनुसार भगवान श्रीराम ने यहां पर राक्षसों का वध किया था.

वह बताती हैं कि यह तीर्थ काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे में पितृपक्ष के दौरान अगर यहां पर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान से संबंधित प्रक्रियाओं को किया जाए, तो यह सभी तीर्थ स्थल में बने सरोवर में किया जा सकते हैं. क्योंकि सरोवर की उत्पत्ति का रहस्य भी भगवान श्रीराम से ही जुड़ा हुआ है.

उन्होंने बताया कि जब भगवान श्रीराम ने यहां पर विभिन्न राक्षसों का वध कर दिया था, उसके पश्चात भगवान श्रीराम ने तीर मारकर यहां पर सरोवर की उत्पत्ति की थी, जो आज भी विशाल क्षेत्रफल में मौजूद है. उन्होंने बताया कि इसी सरोवर का जल काफी पवित्र माना जाता है, इसलिए यहां पितृपक्ष के दौरान गया की तर्ज पर ही पिंडदान का लाभ मिलता है.

उन्होंने बताया कि यहां पर कण-कण में भगवान श्रीराम से जुड़ा हुआ है. छठ के पावन अवसर पर भी देश भर से श्रद्धालु यहां पर नहाय-खाय के साथ पूजा-अर्चना करते हुए दिखाई देते हैं. इसी के साथ उन्होंने बताया कि यहां पर आपको खिचड़ी वाले बाबा का भी उल्लेख मिलता है, जिनकी भी भक्तों की काफी आस्था रही है.

इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि यहां पर सैकड़ों की संख्या में मोक्ष धाम के रूप में तीर्थ स्थल भी विकसित किया गया है, जहां सैकड़ों शिवलिंग की पूजा-अर्चना की जाती है. आप मुख्य शिवलिंग पर भोले बाबा को जलाभिषेक कर सकते हैं. यहां पूजा-अर्चना करने से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तीर्थ स्थल को विकसित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कार्य किया गया है. समय-समय पर शासन की ओर से भी यहां आयोजन किए जाते रहते हैं. वहीं, दीपावली एवं अन्य महत्वपूर्ण पर्वों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, साथ ही सफाई अभियान भी चलाया जाता है.