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Baidyanath Mandir During Grahan and Sutak Kal: मंदिरों को ग्रहण के समय के साथ ही सूतक काल में भी बंद कर दिया जाता है. हालांकि देवघर के बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के साथ नियम कुछ अलग हैं. इस दिन कितने बजे तक पूज…और पढ़ें
चंद्रग्रहण के ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है, जिस समय पूजा-पाठ इत्यादि की मनाही होती है और सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं. लेकिन झारखंड का एक ऐसा मंदिर है, जहां सूतक काल मान्य नहीं होता.
देवघर के प्रसिद्ध तीर्थपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने Bharat.one के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर का बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है. इस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव के साथ माता शक्ति भी विराजमान हैं, जिस वजह से इसे शक्तिपीठ भी कहा जाता है. सदियों से इस मंदिर में ग्रहण से पहले सूतक काल के समय मंदिर का कपाट बंद नहीं किया जाता.
हालांकि इसका कोई धार्मिक कारण नहीं है, लेकिन मुख्य पुजारी द्वारा बनाए गए नियम का पालन तीर्थपुरोहित पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. इसलिए आम दिनों की तरह ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल में भी मंदिर का कपाट खुला रहेगा और रात्रि में श्रृंगार पूजा भी की जाएगी. इस वजह से ग्रहण के दिन श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर सकते हैं.
तीर्थपुरोहित बताते हैं कि सूतक काल में भले ही मंदिर का कपाट बंद नहीं किया जाता, लेकिन ग्रहण के समय बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर में स्थित मुख्य मंदिर सहित 22 मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. साल का अंतिम चंद्रग्रहण 7 सितम्बर रात 9 बजकर 57 मिनट से लेकर देर रात 1 बजकर 27 मिनट तक रहने वाला है. इस ग्रहण की अवधि 3 घंटे 30 मिनट तक रहेगी. इसलिए बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के कपाट सिर्फ ग्रहण के समय बंद रहेंगे. अगले सुबह फिर गंगाजल से पूरे मंदिर को धोया जाएगा और पूजा-अर्चना शुरू की जाएगी.