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घने जंगलों और पहाड़ों के बीच है ये गुफा, यहां विराजमान हैं साक्षात महादेव! संत गहिरा गुरु की है यहां तोपोभूमि


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Kailash Cave Jashpur Chhattisgarh: अंबिकापुर से करीब 90 किलोमीटर दूर जशपुर जिले में कैलाश गुफा में शिवलिंग विराजमान है. इसकी स्थापना संत गहिरा गुरु ने ही की थी. यहां साल में दो बार ही मेला लगता है. इस मंदिर में…और पढ़ें

घने जंगलों और पहाड़ों के बीच है ये गुफा, यहां विराजमान हैं साक्षात महादेव!

कैलाश गुफा

हाइलाइट्स

  • जशपुर जिले में कैलाश गुफा में शिवलिंग विराजमान है
  • संत गहिरा गुरु ने 1956 में शिवलिंग की स्थापना की थी
  • सावन और महाशिवरात्रि पर यहां मेला लगता है

अंबिकापुर:- छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से करीब 90 किलोमीटर दूर जशपुर जिले में घने जंगलों के बीच एक गुफा है. इस गुफा को कैलाश गुफा के नाम से जाना जाता है. यह गुफा संत गहिरा गुरु की तपोभूमि है. उन्होंने ही साल 1956 में इस गुफा में शिवलिंग की स्थापना की थी. तब से ही इस गुफा का नाम कैलाश गुफा पड़ गया. घने जंगल के बीच स्थित कैलाशनाथ गुफा आने के दौरान प्रकृति के अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं. यहां जंगल और पहाड़ को पार करते हुए आना पड़ता है. यहां आते समय रास्ते में कई जगह प्राकृतिक जल धारा बड़ी ही मनमोहक लगती है. यहां का घना वन क्षेत्र औषधीय पेड़ पौधों से घिरा हुआ है. इस वजह से ये क्षेत्र हिमालय का अंग माना जाता है.

यहां साल में दो बार लगता है मेला
मंदिर के पुजारी भावेन्द्र महराज बताते हैं, कि कैलाश नाथेश्वर गुफा संत गहिरा गुरु महाराज की तपोभूमि और भगवान महादेव की स्थली है. उन्होंने ही 1956 में महाशिवरात्रि के दिन यहां महादेव की स्थापना की थी. वे बताते हैं, कि स्थापना से पहले उन्होंने 2 साल तक साधना की थी. यहां साल में दो बार सावन और महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है. विशेष रूप से आस पास में रहने वाले यदुवंशी समाज के लोग ही कैलाश गुफा की देख रेख करते हैं. वे बताते हैं, कि कैलाश नाथेश्वर गुफा धाम की स्थापना से पहले यह जगह राट पर्वत के नाम से जानी जाती थी, लेकिन भगवान शिव की स्थापना के बाद इसका नाम कैलाशनाथेश्वर धाम हो गया. हिमालय में जो जड़ी बूटी मिलती है, वैसी ही कई चीजें यहां भी मिलती हैं, इसलिए ये स्थान हिमालय का ही अंग माना गया है.

सावन के महीने में इस दिन होती है भीड़
आगे वे बताते हैं, कि सावन के महीने में हजारों की संख्या में भक्त महादेव का अभिषेक करने कैलाशगुफा पहुंचते हैं. कोई सौ किलोमीटर से जल लेकर पैदल पहुंचता है तो कोई उससे भी ज्यादा दूरी पैदल तयकर यहां पहुंचते हैं और गुफा में विराजमान शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. आगे वे बताते हैं, कि सावन माह के प्रदोष में यहां अभिषेक करने का विशेष महत्व है और इस दौरान तीन दिन तक सिर्फ जंगल और बड़े मैदानों वाले इस क्षेत्र में इतनी भीड़ हो जाती है, कि लोगों को दर्शन के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ती है. प्रदोष के दो दिन पहले भक्त जल उठाते हैं और प्रदोष के दिन जल चढ़ाते हैं. वे आगे बताते हैं, कि यहां सावन के महीने में जगह- जगह कांवरियों के लिए भोजन व ठहरने की निशुल्क व्यवस्था समाजसेवी की तरफ से की जाती है.

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घने जंगलों और पहाड़ों के बीच है ये गुफा, यहां विराजमान हैं साक्षात महादेव!

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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