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Chandauli News: आचार्य विष्णु पांडे ने Bharat.one से कहा कि यहां हर वर्ष नहाय-खाय के दिन पूजन और कीर्तन होता है. इसके बाद नगर में भ्रमण के लिए भगवान सूर्यदेव की सवारी के रूप में 7 घोड़े छोड़े जाते है. ये घोड़े नगर में जहां-जहां भ्रमण करते है.
चंदौली यूं तो भगवान भाषकर की उपासना का महापर्व छठ में अस्ताचल गामी और अगले दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की जाती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह ले चलेंगे, जहां भाषकर देव की सवारी घोड़े की भी पूजा की जाती है. उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के मुगलसराय में स्थित सूर्य मंदिर में घोड़ों की आरती कर पूरे नगर में घुमाया जाता है और व्रती महिलायें उनको चना और गुड़ खिलाकर सुख समृद्धि की कामना करती हैं.
सूर्य देव की सवारी के रूप में छोड़े गए 7 घोड़े
श्री श्री सूर्य मंदिर छठ पूजा कमेटी के संस्थापक कृष्णा गुप्ता ने Bharat.one से बताया कि आज सूर्य मंदिर स्थित मानसरोवर तालाब पर सूर्य देव की सवारी के रूप में 7 घोड़ों को सजाकर बाजे-गाजे के साथ नगर भ्रमण के लिए छोड़े गए है. ये घोड़े व्रतियों के घर-घर जाकर प्रहरी के रूप में भ्रमण करेंगे. व्रती इन घोड़ों को चना, गुड़ खिलाकर आरती पूजन कर आशीर्वाद लेंगी. इसके बाद मानसरोवर तालाब पर 24 घंटे का हरिकीर्तन शुरू हुआ है. छठ पूजा में प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ी, चूल्हा बनाने के लिए नई ईंट और पूजा के लिए नारियल का निःशुल्क वितरण भी किया गया है.
कल मानसरोवर तालाब का होगा शुद्धीकरण
आगे उन्होंने बताया कि कल छठ महापर्व का दूसरा दिन है. इसलिए 24 घंटे अखंड हरिकिर्तन के समापन के बाद 24 घंटे अखंड रामायण का प्रारंभ होगा. 9 कन्याओं द्वारा काशी से गंगा जल लाकर के गाय के दूध के साथ मानसरोवर तालाब का शुद्धीकरण किया जाएगा. उसके बाद आम का पत्ता, बांस का पत्ता, अशोक का पत्ता और केले के पत्ता से एक शुद्धीकरण माला बनाया जाएगा, जो पूरे मानसरोवर तालाब के किनारे से बांधा जाएगा.
कल खरना के दिन छठ घाट पर जाएंगी व्रती
छठ व्रती गायत्री देवी ने Bharat.one से बातचीत में बताया कि 15 सालों से छठ पूजा कर रही हैं. उन्होंने बताया कि आज नहाय-खाय है और आज हम अपने आपको शुद्धीकरण करेंगे. इसके बाद लौकी-भात खाएंगे. फिर पकवान बनाएंगे और छठी मईया का स्वागत करेंगे. आज के दिन हम उनको अपने घर में आगमन करवाएंगे. कल खरना है, कल हम नहाएंगे, फिर खीर बनाएंगे. अपने खाएंगे और लोगों को भी प्रसाद के रूप में देंगे.इसके साथ ही 36 घंटे के निर्जला उपवास की शुरुआत होगी. सोमवार को हम तालाबों व सरोवरों के तटों पर पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे. मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस 4 दिवसीय व्रत का समापन होगा.







