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Barmer News : बाड़मेर के चारभुजा मंदिर में 1000 वर्ष पुराने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के पवित्र अवशेष पहुंचे, जिनकी चुम्बकीय शक्ति और हवा में तैरने की मान्यता ने श्रद्धालुओं को आकर्षित किया. हजार वर्षों पहले खंडित किए गए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़े पवित्र अवशेषों के बाड़मेर पहुंचने पर श्रद्धा और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा.
बाड़मेर. सनातन आस्था और इतिहास का जीवंत साक्ष्य बने करीब 1000 वर्ष पहले खंडित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़े पवित्र अवशेष जब बाड़मेर पहुंचे तो श्रद्धा और विस्मय का अद्भुत संगम देखने को मिला. इन अवशेषों से जुड़ा वह रहस्य भी चर्चा में रहा, जिसके अनुसार ज्योतिर्लिंग अपने चुम्बकीय गुणों के कारण हवा में तैरता हुआ प्रतीत होता है. यह रहस्य सदियों से भक्तों और विद्वानों को समान रूप से चकित करता आया है.
हजार वर्षों पहले खंडित किए गए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़े पवित्र अवशेषों के बाड़मेर पहुंचने पर श्रद्धा और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. जैसे ही इन अवशेषों के दर्शन की सूचना मिली, बड़ी संख्या में श्रद्धालु उन्हें देखने और नमन करने पहुंचे. बाड़मेर शहर के चारभुजा मंदिर, आजाद चौक में इन पवित्र अवशेषों को दर्शनार्थ रखा गया है, जहां दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा.
भजन, कीर्तन और शंखनाद के साथ हुआ स्वागत
बाड़मेर पहुंचते ही इन पवित्र अवशेषों का वैदिक मंत्रोच्चार, शंखनाद और भजन-कीर्तन के साथ भव्य स्वागत किया गया. श्रद्धालुओं का कहना है कि दर्शन मात्र से ही मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति हो रही है. इससे पूर्व बाड़मेर गढ़ स्थित रावत त्रिभुवन सिंह के आवास पर ज्योतिर्लिंग अवशेषों की विधिवत पूजा-अर्चना की गई. इसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ इन्हें चारभुजा मंदिर में स्थापित किया गया.
चुम्बकीय रहस्य और हवा में स्थित होने की मान्यता
लिविंग आर्ट से जुड़े तरुण रामावत के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग में अद्भुत चुम्बकीय गुण माने जाते हैं. मान्यता है कि इसी चुम्बकीय शक्ति के कारण ज्योतिर्लिंग हवा में स्थित प्रतीत होता है और भूमि को स्पर्श नहीं करता. यही अलौकिक रहस्य सदियों से श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र बना हुआ है और सोमनाथ की दिव्यता को और अधिक विशेष बनाता है.
हजार साल पुराने अवशेष आज भी आस्था की पहचान
बाड़मेर गढ़ के रावत त्रिभुवन सिंह ने लोकल18 से बातचीत में कहा कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग न केवल 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम है, बल्कि यह सनातन धर्म की अडिगता और पुनर्निर्माण की परंपरा का प्रतीक भी है. उन्होंने बताया कि बार-बार खंडित किए जाने के बावजूद सोमनाथ का पुनर्निर्माण होता रहा और आज उसके अवशेषों का दर्शन उसी अमर आस्था की याद दिलाता है. उनके अनुसार भक्तों के मन में सोमनाथ को लेकर आज भी उतनी ही गहरी श्रद्धा और विश्वास कायम है.
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नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
