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जन्माष्टमी के बाद पड़ने वाली एकादशी पर दुर्लभ संयोग, व्रत का मिलेगा दोगुना फल, उज्जैन के पंडितजी से जानें


उज्जैन. हिंदू धर्म में साल के 24 एकादशी व्रत होते हैं. हर माह में 2 बार एकादशी व्रत होता है और हर एकादशी व्रत का बड़ा महत्व होता है. मान्यता है कि एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही, सभी मन्नतें पूरी होती हैं. लेकिन, भद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे अजा एकादशी भी कहते हैं, इस बार इसका बड़ा महत्व है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि अजा एकादशी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है.

अजा एकादशी व्रत में दो शुभ योग
सबसे खास बात ये कृष्ण जन्माष्टकी के बाद यह पहली एकादशी होती है. दूसरी खास बात ये कि इस बार एकादशी के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. सुबह से लेकर शाम 6 बजकर 18 मिनट तक सिद्धि योग है. शाम 4 बजकर 39 मिनट से अगले दिन 30 अगस्त को सुबह 5 बजकर 58 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा. ये दोनों योग पूजा-पाठ के लिए बहुत फलदायी माने जाते हैं. व्रत के दिन सुबह से शाम 4 बजकर 39 मिनट तक आर्द्रा नक्षत्र है.

कब है अजा एकादशी
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 29 अगस्त गुरुवार देर रात 1 बजकर 19 मिनट से होगा, जिसका समापन समाप्त 30 अगस्त दिन शुक्रवार को देर रात 1 बजकर 37 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, अजा एकादशी 29 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी. खास बात ये कि अजा एकादशी गुरुवार को पड़ रही है. गुरुवार भगवान विष्णु का ही प्रिय दिन माना गया है.

अजा एकादशी व्रत से मिलेगा ये लाभ
शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक बेहतरीन अवसर माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से साधक सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान शुभ फल मिलता है. यह उपवास न केवल समृद्धि और भौतिक कल्याण लाता है, बल्कि आध्यात्मिक प्रगति में भी योगदान देता है.

कैसे रखें व्रत
– एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
– एकादशी व्रत के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें.
– एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है.
– एकादशी व्रत के दिन ब्राह्मणों को कुछ दान अवश्य करना चाहिए.

जरूर करे इस मंत्र का जाप
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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