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जन्म कुंडली की दशाओं के अनुसार पूजा करने के नियम, जान लें कौन सी दशा में क्या करें?


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Horoscope Remedies : जन्म कुंडली में चल रही अलग-अलग दशाओं के अनुसार हमें अपने जीवन में पूजा पद्धति अपनानी चाहिए. दशाओं के अनुसार पूजा करने से ग्रहों की शुभता प्राप्त होती है.

जन्म कुंडली की दशाओं के अनुसार पूजा विधि: कौन सी दशा में क्या करें?

जन्म कुंडली की दशाओं के अनुसार पूजा के उपाय.

हाइलाइट्स

  • सूर्य दशा में गायत्री मंत्र का जाप करें.
  • चंद्र दशा में शिव सहस्त्रनाम का जाप करें.
  • मंगल दशा में सुंदरकांड का पाठ करें.

Horoscope Remedies : प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उसकी जन्म कुंडली की आधार पर दशाएं संचालित होती है. महादशा महादशा की अंतर्गत अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा के साथ-साथ प्राण दशा और सूक्ष्म दशा भी आती है. हमारे जीवन में महादशा अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा का विशेष महत्व होता है. इसी के आधार पर हमारा जीवन चलता है. प्रत्येक दशा अपनी स्वभाव और कुंडली में स्थिति के अनुसार हमें परिणाम देती है. कुछ दशाएं सकारात्मक और कुछ दशाएं हमें नकारात्मक परिणाम देती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं जन्म कुंडली में कौन सी दशा के अंतर्गत हमें क्या पूजा करनी चाहिए जिससे हमें हमारे जीवन में अच्छे से अच्छे परिणाम प्राप्त होना शुरू हो जाए. आइये विस्तार से जानते हैं.

सूर्य दशा : जब भी जन्म कुंडली में महादशा यंत्र तथा के अंतर्गत सूर्य सक्रिय होता है तो हमें गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके अलावा सूर्य देव को तांबे के कलश से जल अर्पित करना चाहिए.

चंद्र दशा : जन्म कुंडली में जब भी चंद्रमा सक्रिय भूमिका में आए तो हमें शिव सहस्त्रनाम का जाप करना चाहिए. इसके अलावा शिवजी पर कच्चे दूध से अभिषेक करना और पूर्णमासी का व्रत रखना चंद्र देव का सबसे अच्छा उपाय है.

मंगल दशा : जन्म कुंडली में यदि मंगल सक्रिय हो जाता है तो महादशा या अंतर्दशा के अंतर्गत सुंदरकांड अथवा बजरंग बाण का पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है.

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बुध दशा : बुध की महादशा अथवा अंतर्गत सामने सबसे उत्तम उपाय प्रथम पूज्य श्री गणेश का द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ है. इसके अलावा आप भगवान श्री गणेश को दूब घास अर्पित कर सकते हैं.

गुरु दशा : जब भी जन्म कुंडली में महादशा अथवा अंतर्दशा में देवगुरु बृहस्पति सक्रिय हो जाएं तो व्यक्ति को गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए. यह देवगुरु बृहस्पति का बहुत ही अचूक उपाय है.

शुक्र दशा : जन्म कुंडली में शुक्र की महादशा अथवा अंतर्दशा में लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा श्री सूक्त का पाठ या कनकधारा स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं.

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शनि दशा : जन्म कुंडली में शनि की महादशा अंतर्दशा साडेसाती अथवा पनौती के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप सबसे अचूक उपाय है. महामृत्युंजय मंत्र के अलावा महाराज दशरथ कृत नील शनि स्त्रोत का पाठ भी शनि की पीड़ाओं से मुक्ति दिलाता है.

राहु दशा : जब भी जन्म कुंडली में राहु की दशा आती है तो राहु कवच उसका सबसे उत्तम उपाय है. राहु कवच का पाठ करने से राहु से संबंधित पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है.

केतु दशा : केतु की दशा जीवन में बहुत कष्टकारी मानी जाती है. जब भी जन्म कुंडली में केतु ग्रह सक्रिय हो तो व्यक्ति को श्री गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए. यह केतु के लिए सबसे उत्तम उपाय है.

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जन्म कुंडली की दशाओं के अनुसार पूजा विधि: कौन सी दशा में क्या करें?

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