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जब ब्रह्मा जी ने प्रसाद खाने से किया मना तो इस संत ने किया ऐसा चमत्कार, आज भी लोग करते हैं गुणगान


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ब्रज एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां हर संप्रदाय के मंदिर आपको देखने को मिलेंगे. यहां हर मंदिर और संप्रदाय की एक अलग पहचान है. ब्रज में प्रत्येक संप्रदाय अपने संप्रदाय के नियमानुसार कार्य करता है.

मथुरा: निंबार्क स्वामी एक ऐसे संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो संप्रदाय आज अपनी अलग पहचान रखता है. ब्रह्मा जी जब साधु का भेष रख धरती पर आए थे तो उन्होंने निंबार्क महाराज से भोजन के लिए आग्रह किया, लेकिन सूर्य अस्त होने की वजह से ब्रह्मा जी प्रसाद ग्रहण नहीं कर रहे थे. निंबार्क स्वामी ने अपनी साधना से नीम के वृक्ष के ऊपर सूर्य महाराज के दर्शन ब्रह्मा जी को कर दिए थे. ब्रह्मा जी ने सूर्य देवता के दर्शन के बाद प्रसाद ग्रहण किया था.

ऐसे हुई निंबार्क संप्रदाय की उत्पत्ति 

ब्रज एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां हर संप्रदाय के मंदिर आपको देखने को मिलेंगे. यहां हर मंदिर और संप्रदाय की एक अलग पहचान है. ब्रज में प्रत्येक संप्रदाय अपने संप्रदाय के नियमानुसार कार्य करता है. मान्यता के अनुसार, निंबार्क संप्रदाय द्वापर युग से भी प्राचीन है और यहां निंबार्क स्वामी की ओर से इसका प्रचार-प्रसार किया गया था. भारत में अलग-अलग राज्यों में निंबार्क स्वामी के आश्रम और मंदिर हैं. निंबार्क स्वामी की आराधना करने वाली भी हजारों भक्त हैं, जो उनकी आराधना में लीन रहते हैं.

निंबार्क स्वामी भगवान का ही स्वरुप है. उन्होंने पृथ्वी पर आकर लोगों को धर्म का पाठ पढ़ाया. धीरे-धीरे निंबार्क संप्रदाय की नींव गहरी होती चली गई. आज निंबार्क संप्रदाय कई राज्यों में फैला हुआ है. निंबार्क संप्रदाय के मंदिर और आश्रम आज भी लोक कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं. निंबार्क संप्रदाय की उत्पत्ति कैसे हुई और इस संप्रदाय को निर्माण के नाम से क्यों जाना जाता है.

जानें क्या है निंबार्क संप्रदाय की कहानी?

निंबार्क संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले एक संत ने Bharat.one से बातचीत के दौरान बताया कि निंबार्क संप्रदाय की उत्पत्ति नीम के पेड़ और सूर्य से हुई. उन्होंने कहा कि एक समय की बात है. ब्रह्मा जी पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे. भ्रमण करने के दौरान उन्हें ब्रज में आने के बाद भोजन की तलाश थी. निंबार्क स्वामी से आकर उन्होंने भोजन की मांग की, लेकिन तब तक सूर्य अस्त हो चुका था. ब्रह्मा जी से निंबार्क ने आग्रह किया कि आप प्रसाद खा लीजिए, लेकिन ब्रह्मा जी ने सूर्य अस्त की बात कही. उन्होंने भोजन करने से मना कर दिया.

संत ने आगे बताया कि निंबार्क स्वामी ने अपनी साधना से नीम के पेड़ पर सूर्य का उजाला किया. नीम के पेड़ पर एक सूर्य की स्थापना की. ब्रह्मा जी ने तब यह देखा कि नीम के पेड़ के ऊपर सूर्य निकला हुआ है, उन्होंने प्रसाद ग्रहण किया और अपने गंतव्य की ओर चले गए. तभी से निंबार्क संप्रदाय की नींव रखी हुई है. एक अलौकिक कथा का वर्णन आज भी वेदों में पाया जाता है.

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आर्यन सेठ

आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Bharat.one से जुड़ गए.

आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Bharat.one से जुड़ गए.

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जब ब्रह्मा जी ने प्रसाद खाने से किया मना, इस संत ने किया अनोखा चमत्कार

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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