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Surat Bahuchar Mata Temple: सूरत के वेड रोड क्षेत्र में स्थित बहुचर माताजी का मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां देश-विदेश से भक्त आते हैं. यह मंदिर संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर की स्थापना बहुचर नाम…और पढ़ें

सूरत का बहुचर माताजी मंदिर
हाइलाइट्स
- सूरत का बहुचर माताजी मंदिर संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है.
- देश-विदेश से भक्त संतान सुख के लिए आते हैं.
- मंदिर की स्थापना बहुचर नामक वणझार ने की थी.
सूरत: गुजरात के शहर अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर के कारण विशेष पहचान रखता है. सूरत में कई मंदिर हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक हैं. सूरत के वेड रोड क्षेत्र में स्थित बहुचर माताजी का मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल है. बता दें कि यहां न केवल सूरत और गुजरात से, बल्कि देश-विदेश से भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं.
गौरतलब है कि पुराने समय में सूरत ’84 बंदर का वावटो’ के नाम से जाना जाता था. जहाज द्वारा आयात किया गया माल शहर और आसपास के क्षेत्र में बेचने के लिए ‘पोथो’ नाम की व्यवस्था थी, जो मुख्य रूप से ऊंट पर की जाती थी. इस पोथ को वणझारों द्वारा चलाया जाता था. इन वणझारों में एक ‘बहुचर’ नाम का वणझार था, जो मां बहुचराजी का परम भक्त था. मंदिर के पुजारी बीनाबेन ठाकोर के अनुसार, इस वणझार को कोई संतान नहीं थी, इसलिए वह माताजी की भक्ति में लीन रहता था.
किसने माताजी का मंदिर बनाने के लिए कहा
मंदिर के पुजारी बीनाबेन ठाकोर Bharat.one से बात करते हुए बताते हैं, “इस मंदिर की पूजा वडीलोपार्जित है यानी लगभग 100 साल पूरे हो गए हैं. बहुचर नाम के वणझार को संतान नहीं थी. इसलिए वह मां की भक्ति करता था कि उसे संतान की प्राप्ति हो. ऐसा करते-करते उसकी भक्ति सफल हुई और उसके यहां बेटी का जन्म हुआ. जब उसकी बेटी चार साल की हुई, तो उसने अपने पिता को रांदर क्षेत्र के बजाय वरियाव क्षेत्र की ओर पोथो ले जाने की सलाह दी.” उसके मित्र ने रांदर की ओर जाने का फैसला किया और वह यम द्वारा लूटा गया और कैद कर लिया गया. लेकिन बहुचर वणझार अपनी बेटी की सलाह के अनुसार वरियाव क्षेत्र की ओर गया, जहां वह बहुत सफल रहा और खूब कमाया. बाद में उसकी बेटी ने उसे बहुचर माताजी का मंदिर बनाने के लिए कहा.
वप्न में माताजी ने दर्शन दिए
हालांकि, मंदिर कहां बनाना है इस बारे में चिंतित बहुचर को रात में स्वप्न में माताजी ने दर्शन दिए और कहा, “फणिधर नाग तुझे रास्ता दिखाएगा.” अगले दिन, उसे फणिधर नाग के दर्शन हुए, जो उसे वर्तमान मंदिर की जगह तक ले गया. जहां नाग रुका, वहां खुदाई करने पर माताजी के आदेशानुसार, पूर्व में मां बहुचर, दक्षिण में मां अंबा और उत्तर में मां नवदुर्गा की मूर्तियां प्रकट हुईं. जिनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई. “वणझार की बेटी की आत्मा इस शरीर से निकलकर माताजी की मूर्ति में प्रवेश कर गई. उसके बाद माताजी स्थिर हो गईं, इसलिए हम मानते हैं कि माताजी यहां साक्षात हैं.
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आज यह मंदिर संतान प्राप्ति के लिए खास तौर पर प्रसिद्ध है. मंदिर के पुजारी के अनुसार, “यहां श्रद्धालु कहते हैं कि जिन्हें संतान नहीं होती उन्हें मां बहुचर संतान देती हैं. लोगों की मान्यता यहां पूरी होती है.” यहां न केवल सूरत या गुजरात से, बल्कि अमेरिका, लंदन, सिंगापुर, यूरोप सहित देश-विदेश से भक्त दर्शन करने आते हैं और मान्यता मानते हैं.
March 06, 2025, 22:10 IST
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