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Ujjain News: ग्वालियर में स्थित महादेव मंदिर में भगवान शिव खुद मजिस्ट्रेट के रूप में न्याय करते हैं. यहां लोग देश के कोने-कोने से अपनी समस्याओं का समाधाने के लिए आते हैं. इस मंदिर का आखिर ऐसा नाम क्यों है और इस मंदिर की क्या मान्यता है जो यहा हर धर्म के लोग माथा टेकने आते है. आइए जानते हैं.

दुनियाभर मे महादेव के कई ऐसे मंदिर है जिनकी दूर-दूर तक ख्याति फैली है. ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश में ग्वालियर के गिरगांव में है. यह भगवान शिव का मंदिर काफ़ी प्रसिद्ध हैं, जिसे भक्त मजिस्ट्रेट महादेव के नाम से जानते है. भिंड रोड स्थित इस महादेव के इस मंदिर की ख्याति अंचल में ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों में मजिस्ट्रेट के रूप में है.

यह मंदिर मे कई रहस्य छुपे हुए है. यह मंदिर शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है. यहां भगवान शिव को जज के रूप में पूजा जाता है. लोग यहां अपने विवादों के लिए आते हैं. मंदिर में पंचों की उपस्थिति में सुनवाई होती है और महादेव की शपथ दिलाकर फैसला सुनाया जाता है.

यह मंदिर अपनी विशिष्टताओं के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. इसकी महिमा सुनकर देश के कई राज्यों जैसे, मध्य प्रदेश, दिल्ली, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार पर ‘मजिस्ट्रेट महादेव’ की नेम प्लेट इसकी अनोखी पहचान को और भी खास बनाती है.
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इसी तरह के कई मामले आए दिन महादेव की शरण में पहुंंचते हैं और आरोपियों को परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं. पुजारी ने बताया कि यहां अगस्त 2022 में एक जानेमाने संत को भी झूठ बोलने का परिणाम भुगतना पड़ा था.

कहते हैं भगवान सबका न्याय करता है और ग्वालियर के गिरगांव महादेव के मंदिर में यह बात बरसों से प्रमाणित होती आ रही है. मंदिर के पुजारी अमरदास बाबा के अनुसार, इस मंदिर में कई बड़े विवादों का निपटारा हुआ है. जब लोग किसी विवाद में कोर्ट नहीं जाते तो वे अपना केस लेकर महादेव की अदालत में आते हैं. केस की कार्रवाई भी पूरी तरह लिखा पड़ी से होती है. यहां लगाए गए हर परिवाद का लेखा जोखा रजिस्टर में दर्ज है..

गिरगांव महादेव की शरण में किसी भी विवाद की सुनवाई 12 पंचों की समिति करती है, जिसमें सरपंच और गांव के सम्मानित बुजुर्ग शामिल होते हैं. सबसे पहले विवाद का पंचनामा तैयार किया जाता है और दोनों पक्षों को सच बोलने की कड़ी चेतावनी दी जाती है, क्योंकि यहां झूठ बोलना धन हानि से लेकर गंभीर दंड तक दिला सकता है.इसके बाद दोनों पक्ष अपने साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं और अंत में धर्म की सौगंध लेकर निर्णय प्रक्रिया पूरी की जाती है.

गिरगांव महादेव मंदिर पर हर केस के लिए एक पंचनामा तैयार किया जाता है, जिसमें पूरा प्रकरण लिखा जाता है. इसके बाद उसमें तय समय की हतौड़ी खोली जाती है. हतौड़ी यानी एक समय सीमा, जिसकी अवधि 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या एक महीना का समय लिखा जाता है, जिसका अर्थ होता है कि महादेव की सौगंध उठाने के इतने समय बाद एक निश्चित रकम जितना नुकसान आरोपी को होगा.यानी उतने समय के अंदर यदि आरोपी का कोई नुकसान नहीं होता, तो उसे ईश्वर का न्याय मानकर निर्दोष करार दिया जाता है. और अगर नुकसान होता है तो वह दोषी माना जाएगा और पंच उसे दंडित करेंगे. दंड स्वरूप पुलिस केस तक कराया जाता है.

इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पंच, गवाह और सबूतों के आधार पर मुकदमों की सुनवाई होती है. फिर दोनों पक्षों को महादेव की मूर्ति के सामने शपथ दिलाई जाती है. यहां दूर-दूर से फरियादी अपनी समस्याएं लेकर आते हैं.इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पंच, गवाह और सबूतों के आधार पर मुकदमों की सुनवाई होती है. फिर दोनों पक्षों को महादेव की मूर्ति के सामने शपथ दिलाई जाती है.यहां दूर-दूर से फरियादी अपनी समस्याएं लेकर आते हैं.c






