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जिसके नाम से थर्राते थे देवता…सहस्रबाहु ने उसे 6 माह बनाया था बंदी, रोचक कहानी


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Khargone News: मंदिर के पुजारी पंडित कार्तिक महंत ने Bharat.one को बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार सहस्रार्जुन विष्णु भगवान के सुदर्शन चक्र के अवतार थे. हैहय वंश के दसवें उत्तराधिकारी सहस्रार्जुन ने पिता कृतवीर्य के बाद माहिष्मति की राजगद्दी संभाली.

खरगोन. रावण के नाम से देवता भी थर्राते थे. भगवान शिव के सबसे बड़े उपासक को माहिष्मति के पराक्रमी राजा सहस्रार्जुन ((Ravan Sahastrabahu Ki Kahani)) ने युद्ध में हराकर 6 महीने तक बंदी बनाकर रखा था. यह वही राजा थे, जिन्हें हजार भुजाओं का वरदान प्राप्त था. उनकी शक्ति और पराक्रम के चलते वह सप्तद्वीप सम्राट कहलाए. खरगोन जिले की पवित्र नगरी महेश्वर, जो प्राचीन काल में माहिष्मति कहलाती थी, सहस्रबाहु की राजधानी रही. यहां नर्मदा किनारे स्थित किला परिसर में भगवान सहस्रार्जुन का विशाल मंदिर है. मंदिर के गर्भगृह में आज भी 11 अखंड दीप जलते हैं, जिन्हें रावण पर उनकी विजय का प्रतीक माना जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि जिस तरह सहस्रबाहु ने रावण के 10 सिरों के अहंकार को हर शाम दीपों से तोड़ा था, उसी परंपरा में ये दीप आज भी निरंतर जलते हैं.

मंदिर के पुजारी पंडित कार्तिक महंत Bharat.one को बताते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार सहस्रार्जुन भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र के अवतार थे. हैहय वंश के 10वें उत्तराधिकारी सहस्रार्जुन ने अपने पिता कृतवीर्य के बाद माहिष्मति की राजगद्दी संभाली. उन्होंने अपने गुरु भगवान दत्तात्रेय की कठोर तपस्या से 10 वरदान पाए, जिनमें प्रमुख वरदान हजार भुजाओं का था, इसीलिए उन्हें सहस्रबाहु कहा जाता है. उन्होंने हजारों वर्षों तक धर्म और न्याय से शासन किया.

नर्मदा के प्रवाह में रोक दिया
पुजारी ने आगे कहा कि उनकी हजार भुजाओं की शक्ति ऐसी थी कि वह सातों द्वीपों के सम्राट बने. एक बार जब वह अपनी रानियों के साथ नर्मदा नदी में जल क्रीड़ा कर रहे थे, तो उन्होंने अपनी भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया था. उसी समय रावण वहां शिव पूजन कर रहा था. नदी का प्रवाह रुकने से उसकी पूजा भंग हो गई. इससे क्रोधित रावण ने सहस्रबाहु को युद्ध के लिए ललकारा.

11वां दीप हाथ में रखते थे सहस्रबाहु
उन्होंने कहा कि दोनों के बीच महायुद्ध हुआ. सहस्रबाहु ने रावण को पराजित किया और अपनी राजधानी माहिष्मति लाकर 6 माह तक कैद में रखा. रावण का अहंकार तोड़ने के लिए हर शाम वह रावण के 10 सिरों पर दीप जलाते और 11वां दीप हाथ में रखते. कहा जाता है कि तब से लेकर आज तक मंदिर के भीतर 11 अखंड दीप जल रहे हैं. ये दीपक आज भी सहस्रबाहु की रावण पर विजय की गाथा सुनाते हैं.

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Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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जिसके नाम से थर्राते थे देवता…सहस्रबाहु ने उसे 6 माह बनाया बंदी, रोचक कहानी

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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