मंदिर के पुजारी उपेन्द्र कुमार गिरी ने Bharat.one से कहा कि यह शिवलिंग लगभग 350 वर्ष पूर्व नागवंशी राजाओं के शासनकाल की है. उस समय पालकोट के नागवंशी महाराजा गोविंद नाथ सहदेव के छोटे पुत्र कुंवर श्रीनाथ सहदेव बनारस से शिवलिंग को 7 हाथियों की मदद से लाया था.
