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दिन में वीरानी, आधी रात को उमड़ती है भीड़… भीलवाड़ा के श्मशान में विराजमान हैं मसानियां काली माता


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Bhilwara Famous Temple: भीलवाड़ा के पंचमुखी मोक्षधाम परिसर स्थित मसानियां भैरवनाथ मंदिर में श्मशान काली की पूजा आधी रात को होती है, जहां नि:संतान माताओं की गोद भराई और नशा मुक्ति होती है.

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भीलवाड़ा. आमतौर पर आपने माता रानी के कई दरबार देखे होंगे लेकिन भीलवाड़ा जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो श्मशान में स्थित है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पूजा-अर्चना दिन में नहीं बल्कि आधी रात को होती है. शहर के मध्य स्थित पंचमुखी मोक्षधाम परिसर में मसानियां भैरवनाथ मंदिर है जहां श्मशान काली माता विराजमान हैं. यहां दिन में भी जाने से लोग डरते हैं लेकिन आधी रात को भक्तों की भीड़ उमड़ती है. श्मशान काली की स्थापना पांच वर्ष पूर्व कोलकाता से लाकर की गई थी. इस मोक्षधाम में भक्तों का आना-जाना पूरी रात चलता है और यहां पर नि:संतान माताओं की गोद भराई के साथ नशे के आदी व्यक्तियों को नशा मुक्त करवाया जाता है.

पुजारी रवि खटीक के अनुसार श्मशान में विराजमान मां श्मशान काली की स्थापना पांच वर्ष पूर्व प्राचीन मसानियां भैरवनाथ मंदिर में की गई थी. इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान केवल मध्यरात्रि में ही संपन्न होते हैं. इसमें महिलाओं, पुरुषों के साथ बच्चे भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं. मंदिर की विशेषता यह है कि यहां नि:संतान माताओं की गोद भराई की जाती है और नशे के आदी लोगों को माता के स्वरूप रूद्राक्ष देकर नशा छुड़वाया जाता है. कई नि:संतान महिलाओं ने यहां आकर मातृत्व का सुख पाया है. नवरात्रि के नौ दिनों तक यहां लगातार भजन-कीर्तन होते हैं.

श्रद्धालुओं का उमड़ता है सैलाब
इस मंदिर में आसपास के जिलों के साथ ही कोलकाता, झारखंड और मध्यप्रदेश से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि माता की कृपा से यहां आकर भय और चिंता समाप्त हो जाती है. नवरात्रि में यहां नौ दिनों तक माता का श्रृंगार अलग-अलग शक्तिपीठों से लाए गए सामान से किया जाता है.

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
मां काली के दर्शन करने आईं महिला वंदना ने बताया कि उनका परिवार पिछले 15 वर्षों से इस मंदिर में आता रहा है. हर त्यौहार पर अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठान होते हैं और नवरात्रा में माता का विशेष आकर्षक श्रृंगार किया जाता है. यहां दर्शन के लिए भारी संख्या में भक्त आते हैं और विश्वास है कि मां काली सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं. जो भी नि:संतान महिला यहां आती है उसकी गोद भराई होती है और माता की कृपा से उसका जीवन संपूर्ण हो जाता है.

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Anand Pandey

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

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