अयोध्या: सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व माना जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य वर्जित माना जाता है. साथ ही नए काम की शुरुआत भी नहीं की जाती. ज्योतिषि शास्त्र की मान्यता के अनुसार खरमास के दौरान गुरु का प्रभाव शून्य हो जाता है. इसके लिए खरमास के दौरान शुभ कार्य का फल प्राप्त नहीं होता. बृहस्पति ग्रह को शुभ कार्य का कारक माना जाता है. शुभ कार्यों के फल प्राप्ति के लिए गुरु ग्रह का उदय रहना जरूरी है. मान्यता है कि खरमास के दौरान सूर्य देव की पूजा करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है. लेकिन क्या आपको पता है कि खरमास क्यों लगता है और साल में कितनी बार खरमास लगता है ? आइए, अयोध्या के ज्योतिषी से जानते हैं.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि सूर्य के धनु या मीन में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है. सूर्य जब धनु राशि में गोचर करते हैं तो गुरु का प्रभाव शून्य हो जाता है. इस दौरान खरमास लगता है. शुभ कार्य को करने के लिए गुरु का उदय होना अनिवार्य है. दूसरी तरफ सूर्य देव के धनु राशि में गोचर करने के साथ ही खरमास प्रारंभ होता है. इस साल खरमास 15 दिसंबर से लेकर 13 जनवरी तक रहेगा. इसके अगले दिन 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे. अतः मकर संक्रांति के दिन खरमास समाप्त होगा. सूर्य देव 14 मार्च को मीन राशि में गोचर करेंगे. अतः साल 2025 में 14 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक खरमास रहेगा.
नहीं मिलता कार्यों का शुभ प्रभाव
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि खरमास ऐसा समय होता है जिसमें उर्जा और शुभ कार्यों का प्रभाव कम हो जाता है, यह वह अवधि है जब सूर्य धनु और मीन राशि में रहते हैं, यह अवधि लगभग तीस दिन की होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास के दौरान भगवान सूर्य की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए. ऐसा करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है. साथ ही करियर अथवा कारोबार में मन मुताबिक सफलता भी प्राप्त होती है.
FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 20:26 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.